एल्गार परिषद-भीमा कोरेगांव मामले के आरोपी महेश राउत को मंगलवार को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें स्वास्थ्य कारणों के आधार पर छह हफ्तों के लिए अंतरिम जमानत प्रदान की है। इस याचिका पर न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने सुनवाई की।
राउत की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह ने अदालत को बताया कि आरोपी रूमेटाइड अर्थराइटिस से पीड़ित हैं और उन्हें विशेष चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को मान्यता देते हुए कहा कि चूंकि उन्हें पहले बॉम्बे हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी थी, इसलिए छह हफ्तों की चिकित्सा जमानत देने का निर्णय उचित है।
हाईकोर्ट ने राउत की जमानत याचिका पहले स्वीकार कर ली थी, लेकिन राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की मांग पर अपने आदेश पर एक हफ्ते के लिए रोक लगा दी थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने राउत की रिहाई पर लगी रोक बढ़ा दी।
महेश राउत एल्गार परिषद-भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में आरोपी हैं। दिसंबर 2017 में पुणे के शनिवारवाड़ा किले में आयोजित इस परिषद में allegedly भड़काऊ भाषणों के कारण 1 जनवरी, 2018 को कोरेगांव-भीमा में हिंसा भड़क गई थी। इसी मामले में अन्य कार्यकर्ताओं और सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं पर भी आरोप हैं।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ भविष्य में ज्योति जगताप की जमानत याचिका पर भी सुनवाई कर सकती है। उन्हें 2020 में एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में गिरफ्तार किया गया था।