सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार और राज्य चुनाव आयोग को आदेश दिया है कि वे राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव 31 जनवरी, 2026 तक संपन्न कराएँ। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया कि 10 अक्टूबर, 2025 तक राज्य में परिसीमन प्रक्रिया पूरी की जाए।
शीर्ष न्यायालय ने आलोचना की कि 6 मई को दिए गए पहले आदेश के बावजूद राज्य चुनाव आयोग ने इस दिशा में आवश्यक कार्रवाई नहीं की। तत्कालीन आदेश में कहा गया था कि स्थानीय निकाय चुनावों की अधिसूचना चार सप्ताह के भीतर और चुनाव चार महीने के भीतर आयोजित किए जाएँ। अब कोर्ट ने समय सीमा बढ़ाते हुए स्पष्ट किया कि आगे कोई विस्तार नहीं दिया जाएगा।
2022 का संदर्भ
22 अगस्त 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग और महाराष्ट्र सरकार को स्थानीय निकायों के मामलों में यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया था। उस समय सरकार ने शीर्ष अदालत से याचिका दायर कर नए आरक्षण नीति आदेश को रद्द या संशोधित करने की मांग की थी।
चुनाव आयोग को चेतावनी
28 जुलाई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को चेतावनी दी थी कि यदि उसने चुनाव प्रक्रिया को पुनः अधिसूचित किया तो उसके खिलाफ अवमानना कार्रवाई हो सकती है। उस समय महाराष्ट्र सरकार ने स्थानीय निकायों में OBC के लिए 27% आरक्षण देने वाला अध्यादेश पेश किया था।
2021 का फैसला
दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया था कि स्थानीय निकायों में OBC के लिए आरक्षण तभी लागू होगा जब सरकार 2010 के ट्रिपल टेस्ट मानदंड को पूरा करे। कोर्ट ने निर्देश दिया था कि ट्रिपल टेस्ट के पूरा होने तक OBC सीटों को सामान्य श्रेणी की सीटों के रूप में अधिसूचित किया जाए।
ट्रिपल टेस्ट के लिए राज्य सरकार को प्रत्येक स्थानीय निकाय में OBC के पिछड़ेपन का डेटा इकट्ठा करना, आयोग की सिफारिशों के आधार पर आरक्षण के अनुपात तय करना और यह सुनिश्चित करना होगा कि OBC/SC/ST के लिए आरक्षित कुल सीटें 50% से अधिक न हों।