बिहार विधानसभा 2025 से पहले एसआईआऱ पर सुप्रीम कोर्ट और ईसी के बीच विवाद

मेरठ जनपद के थाना सरधना क्षेत्र के गांव सलावा में मंगलवार को बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले कराए जा रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर आरोप-प्रत्यारोप जारी रहे। मामला इतना गंभीर हो गया कि सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और अदालत ने कड़ा चेतावनी दी कि अगर गड़बड़ी पाई गई, तो पूरी SIR प्रक्रिया को रद्द किया जा सकता है।

हाल ही में निर्वाचन आयोग (EC) के अधिकारियों ने इस विवाद को लेकर बड़ा दावा किया है। उनका कहना है कि अधिकांश राज्यों में आगामी विशेष गहन पुनरीक्षण के दौरान अधिकांश मतदाताओं को किसी दस्तावेज की आवश्यकता नहीं होगी, क्योंकि उनके दस्तावेज और व्यक्तिगत विवरण पहले से ही पिछली गहन पुनरीक्षण सूची में दर्ज हैं।

अधिकारियों ने उदाहरण देते हुए बताया कि बिहार में 2003 की मतदाता सूची का उपयोग इस साल के SIR के लिए किया जाएगा। इसी तरह, दिल्ली में पिछला SIR 2008 और उत्तराखंड में 2006 में हुआ था। इन सूचियों का डेटा संबंधित मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEO) की वेबसाइट पर उपलब्ध है।

मतदाताओं के लिए प्रावधान

बिहार में 2003 की सूची में लगभग 4.96 करोड़ मतदाताओं (कुल वोटरों का 60%) को जन्मतिथि या जन्मस्थान प्रमाणित करने के लिए कोई अतिरिक्त दस्तावेज देने की जरूरत नहीं होगी। उन्हें केवल संबंधित सूची का हिस्सा दिखाना होगा। वहीं, लगभग 3 करोड़ मतदाताओं (40%) के लिए 12 निर्धारित दस्तावेजों में से किसी एक को प्रस्तुत करना अनिवार्य है।

नया घोषणा प्रपत्र

SIR प्रक्रिया के तहत निर्वाचन आयोग ने एक नया घोषणा प्रपत्र भी लागू किया है। यह उन आवेदकों के लिए है जो पहली बार मतदाता बनना चाहते हैं या किसी अन्य राज्य से स्थान बदलकर आए हैं। इसमें उन्हें घोषणा करनी होगी कि उनका जन्म 1 जुलाई 1987 से पहले भारत में हुआ था। यदि किसी का जन्म 1 जुलाई 1987 और 2 दिसंबर 2004 के बीच हुआ है, तो उन्हें अपने माता-पिता के जन्म दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे।

विवाद और सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

विपक्षी दलों ने बिहार में कराए जा रहे विशेष गहन पुनरीक्षण पर सवाल उठाए हैं और आयोग की टाइमिंग पर संदेह जताया है। उनका कहना है कि जल्दबाजी में SIR कराने से करोड़ों योग्य नागरिकों का मताधिकार प्रभावित हो सकता है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया है कि कोई भी योग्य नागरिक मतदाता सूची से बाहर न रहे।

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