हरियाणा के विलेज कॉमन्स मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2022 के अपने फैसले को पलटते हुए भूमि मालिकों के अधिकार बहाल कर दिए हैं। तीन जजों की पीठ के इस निर्णय को राज्य सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
तीन साल पहले सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य पीठ ने गांव की साझा जमीनों (कॉमन लैंड्स) को ग्राम पंचायतों को लौटाने का आदेश दिया था। मंगलवार को चीफ जस्टिस बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया और पुरानी व्यवस्था को दोषपूर्ण मानकर निरस्त कर दिया।
हरियाणा सरकार की अपील खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा की अपील खारिज करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ के फैसले में कोई त्रुटि नहीं पाई गई। चीफ जस्टिस गवई ने कहा कि इस मामले में कानून का सही पालन हुआ है और राज्य की अपील में कोई दम नहीं दिखता।
जमीन ग्राम पंचायत या राज्य के अधीन नहीं
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने स्पष्ट किया कि जो भूमि किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए निर्धारित नहीं की गई, वह ग्राम पंचायत या राज्य के अधीन नहीं मानी जा सकती।
प्रबंधन और नियंत्रण केवल पंचायत के पास
पीठ ने कहा कि भूमि मालिकों की अनुमेय सीमा से अधिक ली गई भूमि का प्रबंधन और नियंत्रण पंचायत के पास होगा। यह प्रबंधन स्थायी है, लेकिन भूमि पुनर्वितरण के लिए मालिकों को वापस नहीं की जाएगी।
तीन साल पुराना आदेश
7 अप्रैल 2022 के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पंजाब के कानून के तहत भूमि मालिकों से ली गई जमीन का मालिकाना हक पंचायत का नहीं होगा। केवल प्रबंधन और नियंत्रण पंचायत के पास रहेगा, न कि स्वामित्व।
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का 2003 का आदेश बरकरार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का 2003 का आदेश बरकरार रहेगा। उच्च न्यायालय ने तय किया था कि चकबंदी के दौरान साझा उद्देश्यों के लिए चिह्नित न की गई भूमि मालिकों के पास ही रहेगी, न कि पंचायत या राज्य के पास।