राजस्थान की भजनलाल सरकार ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के एक बड़े फैसले को पलटते हुए जयपुर शहर के दो नगर निगमों को एकीकृत करने का निर्णय लिया है। इससे पहले पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने शहर को ग्रेटर और हेरिटेज नगर निगम में विभाजित किया था। अब पूरे जयपुर में केवल 150 वार्ड होंगे, जबकि पहले दोनों निगमों में कुल 250 वार्ड थे। इस निर्णय के साथ ही ग्रेटर और हेरिटेज निगम का अस्तित्व आगामी चुनाव के साथ समाप्त हो जाएगा।
राजस्थान नगर निगम अधिनियम और निर्वाचन नियमों के तहत जयपुर नगर निगम के पुनर्गठन को राज्य सरकार की मंजूरी मिल चुकी है। डीएलबी डायरेक्टर जुईकर प्रतीक चन्द्रशेखर ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है।
वार्ड गठन की प्रक्रिया के दौरान जिला कलेक्टर ने आमजन, सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों से आपत्तियां प्राप्त की थीं। इनमें जनसंख्या असंतुलन, आरक्षण व्यवस्था और भौगोलिक असमानता जैसे मुद्दे प्रमुख थे। सभी आपत्तियों का निस्तारण करने के बाद वार्डों की अंतिम सूची तैयार की गई।
सरकार नगर निगम की सीमाओं का विस्तार भी कर रही है, जिसमें 80 नए गांव शामिल किए जाने हैं। इस पर अंतिम निर्णय जल्द ही लिया जाएगा। हालांकि वार्डों का पुनर्गठन हो चुका है, लेकिन जनसंख्या संतुलन अभी भी चुनौती बना हुआ है। उदाहरण के लिए, वार्ड 19 में 27,913 लोग हैं, जबकि वार्ड 31 में केवल 13,499 लोग रहते हैं। इस पर यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि कुछ क्षेत्रों की भौगोलिक परिस्थितियों के कारण मानकों को पूरी तरह लागू करना संभव नहीं था, इसलिए मंत्रिमंडलीय उप-समिति ने विशेष निर्णय लिए।
आगे की प्रक्रिया में वार्डों के अनुसार आरक्षण को अंतिम रूप दिया जाएगा, इसके बाद मतदाता सूची का पुनरीक्षण किया जाएगा। इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग नगर निगम चुनाव की अधिसूचना जारी कर सकता है।