पटना। बिहार में विपक्षी गठबंधन का हिस्सा बनी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन ने कांग्रेस से इस बार चुनावी सीट बंटवारे में यथार्थवादी रुख अपनाने की उम्मीद जताई है। पार्टी महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि कांग्रेस को 2020 के विधानसभा चुनाव से सबक लेना चाहिए, जब उसने अपनी क्षमता से अधिक सीटों की मांग की थी, लेकिन प्रदर्शन कमजोर रहा।
भट्टाचार्य ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को भी गठबंधन के नए और छोटे दलों के लिए लचीलापन दिखाना होगा। उन्होंने बताया कि उनकी पार्टी इस बार 243 सीटों में कम से कम 40 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है, जबकि 2020 में यह संख्या केवल 19 थी। उन्होंने साफ कहा कि यदि विपक्षी गठबंधन सत्ता में आता है, तो मुख्यमंत्री पद का चेहरा तेजस्वी यादव ही होंगे।
उन्होंने बताया कि सीट बंटवारे की बातचीत एसआईआर आंदोलन के कारण थोड़ी देर हुई, लेकिन उम्मीद है कि इस महीने के अंत तक स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। कांग्रेस की हालिया ‘मतदाता अधिकार यात्रा’ के बाद 70 सीटों की मांग पर भट्टाचार्य ने कहा कि यह पिछली बार की तुलना में संतुलनहीन मांग है। 2015 में कांग्रेस ने 40 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 27 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि 2020 में 70 सीटों पर चुनाव लड़कर केवल 19 सीटों पर सिमट गई।
भट्टाचार्य ने कहा, “अगर कांग्रेस इस बार थोड़ी कम सीटों पर चुनाव लड़े और बेहतर प्रदर्शन करे, तो यह गठबंधन के लिए भी फायदेमंद होगा।” 2020 में महागठबंधन में राजद, कांग्रेस और वाम दल शामिल थे। राजद ने 144 सीटों में 75 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस केवल 19 सीटों पर सिमट गई। वहीं, भाकपा (माले) लिबरेशन ने 19 में 12 सीटें जीतकर सभी को चौंका दिया।
भट्टाचार्य ने कहा कि इस बार गठबंधन में नए साथी भी शामिल हो रहे हैं, इसलिए राजद और कांग्रेस को सीट बंटवारे में लचीलापन दिखाना होगा।