नेपाल के पूर्व पीएम ओली ने जेन-जी विरोध प्रदर्शन में गोलीबारी के आदेश से किया इनकार

काठमांडू: नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने 8 सितंबर को हुए ‘जेन-जी’ विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने के आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया है। इस हिंसक विरोध में करीब 19 लोग मारे गए थे। ओली ने इसके लिए घुसपैठियों को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि उनकी सरकार ने किसी को गोली चलाने का आदेश नहीं दिया।

ओली ने संदेश जारी कर कहा:
संविधान दिवस पर अपने संदेश में ओली ने कहा, “सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का आदेश नहीं दिया। गोलियां उन स्वचालित हथियारों से चलीं, जो पुलिस के पास नहीं थे। इसकी स्वतंत्र जांच होनी चाहिए।” उन्होंने घुसपैठ का आरोप लगाते हुए कहा कि कुछ षड्यंत्रकारियों ने आंदोलन को हिंसक बना दिया, जिससे युवा प्रभावित हुए।

ओली ने फेसबुक पोस्ट में कहा कि उनके इस्तीफे के बाद सरकारी इमारतों में आग लगाई गई और नेपाल का नक्शा भी जलाया गया। उन्होंने संविधान लागू करने के दौरान सामने आई चुनौतियों को याद किया और सभी पीढ़ियों से एकजुट होने का आह्वान किया ताकि देश की संप्रभुता और संविधान की रक्षा हो सके।

विरोध और इस्तीफा:
ओली ने 9 सितंबर को इस्तीफा दे दिया था। 8 सितंबर को विरोध प्रदर्शनों में सैकड़ों आंदोलनकारी उनके कार्यालय में घुस आए थे और पुलिस कार्रवाई में कम से कम 19 लोग मारे गए थे। कुल मिलाकर 8 और 9 सितंबर की घटनाओं में तीन पुलिसकर्मी समेत 72 लोगों की मौत हुई थी। इस हिंसा के पीछे भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध जैसे मुद्दे बताए जा रहे हैं।

नेपाल ने मनाया 10वां संविधान दिवस:
नेपाल ने शुक्रवार को 10वां संविधान दिवस सादगी से मनाया। प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने कहा कि संविधान की रक्षा और सफल क्रियान्वयन सभी नेपाली नागरिकों की जिम्मेदारी है। उन्होंने लोकतंत्र को संवाद और समाधान का माध्यम बताया। इस वर्ष समारोह की सादगी पिछली हिंसक घटनाओं के कारण रखी गई।

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