हिमाचल प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में लगातार हो रही भारी बारिश ने जनजीवन और बुनियादी ढांचे को बुरी तरह प्रभावित किया है। किन्नौर जिले के थाच गांव में देर रात बादल फटने से आई बाढ़ ने किसानों की फसल और बगीचों को नुकसान पहुंचाया। ग्रामीणों ने जंगल में भागकर अपनी जान बचाई। बाढ़ का मलबा निगुलसरी में एनएच-5 पर आ गया, जिससे जिले का सड़क संपर्क बाधित हो गया। तीन नाले उफान पर आने से खेत और बगीचे बर्बाद हो गए, वहीं दो वाहन भी बह गए। मस्तान की दोगरी और आसपास के गांवों में मकानों को नुकसान हुआ, तीन घर खतरे में हैं।
शिमला जिले में भी हालात गंभीर हैं। राजधानी के हिमलैंड क्षेत्र में सर्कुलर रोड पर देर रात भूस्खलन हुआ, जिससे एक भवन को खतरा पैदा हो गया। प्रशासन ने सुरक्षा के मद्देनजर भवन खाली करवा दिया और सेंट एडवर्ड स्कूल को 19 व 20 सितंबर को बंद रखने का आदेश दिया। भूस्खलन के कारण सड़क ठप हो गई, जिससे लोगों को पैदल अपने कार्यस्थलों तक जाना पड़ा।
राज्यभर में भारी बारिश और भूस्खलनों के कारण तीन नेशनल हाईवे समेत 555 सड़कें बंद रहीं। कुल्लू में 202, मंडी में 158, शिमला में 50, कांगड़ा में 40, सिरमौर में 24 और चंबा में 24 सड़कें प्रभावित हैं। इसके अलावा 162 बिजली ट्रांसफार्मर और 197 जल आपूर्ति स्कीमें बाधित हुई हैं।
इस मानसून में अब तक प्रदेश में 424 लोगों की जान जा चुकी है और 481 लोग घायल हुए हैं। 45 लोग अभी भी लापता हैं। सड़क हादसों में 182 मौतें हुई हैं। 632 पक्के और 972 कच्चे मकान पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। कुल 2,258 पक्के और 4,767 कच्चे मकानों को नुकसान पहुंचा है। 585 दुकानें और 6,815 गोशालाएं भी बर्बाद हो गईं। 2,458 मवेशियों की मौत हुई है।
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार राज्य के कुछ हिस्सों में 25 सितंबर तक बारिश का दौर जारी रहेगा। 22 और 23 सितंबर को मौसम साफ रहने की संभावना है। वहीं बीती रात नयना देवी में 158.6 मिलीमीटर, नाहन 38.2, भटियाट 37.1 और अन्य क्षेत्रों में भी बारिश रिकॉर्ड की गई।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक भूस्खलन प्रभावित परिवारों की मदद के लिए सामने आए और राहत कार्य में जुट गए। प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीम लगातार प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य कर रही है।