सिंगापुर में आयोजित हो रहे बहुराष्ट्रीय पनडुब्बी बचाव अभ्यास पैसिफिक रीच 2025 (एक्सपीआर-25) में भारतीय नौसेना ने अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया है। इस अंतरराष्ट्रीय अभ्यास में भारत सहित 17 देशों की नौसेनाएँ मिलकर पनडुब्बी बचाव के विभिन्न अभियानों की तैयारी कर रही हैं।
इस अभ्यास के समुद्री चरण में भारतीय नौसेना की स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट वेसल आईएनएस निस्तार भी शामिल है। हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित और हाल ही में 18 जुलाई को नौसेना में शामिल किए गए इस जहाज की लंबाई 120 मीटर है। डीप सबमर्शन रिज्क्यू व्हीकल (डीएसआरवी) के साथ इसकी क्षमता 134 मीटर तक पहुँच जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य गहरे समुद्र में गोताखोरी करना और पनडुब्बी बचाव मिशनों में डीएसआरवी के लिए मादरशिप की भूमिका निभाना है।
कमांडिंग ऑफिसर का बयान
आईएनएस निस्तार के कमांडिंग ऑफिसर अमितसुभ्रो बनर्जी ने बताया कि जहाज के दो प्रमुख कार्य हैं—समुद्र की गहराई में गोताखोरी और बचाव अभियानों में डीएसआरवी का संचालन। वहीं, पूर्वी नौसैनिक कमांड के पनडुब्बी बचाव इकाई के अधिकारी कैप्टन विकास गौतम ने कहा कि “एक्सपीआर-25 जैसे वैश्विक अभ्यास में भाग लेना भारतीय नौसेना के लिए गर्व की बात है। यह समुद्री जीवन की सुरक्षा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।”
दो चरणों में पूरा हो रहा अभ्यास
यह अभ्यास दो चरणों में हो रहा है—पहला हर्बर फेज (15 से 21 सितंबर), जिसमें तकनीकी चर्चाएँ, विशेषज्ञों के अनुभव साझा करना और मेडिकल सेमिनार शामिल हैं। दूसरा सी फेज (21 से 29 सितंबर), जिसमें आईएनएस निस्तार और बचाव इकाई दक्षिण चीन सागर में विभिन्न परिदृश्यों पर आधारित बचाव अभियानों को अंजाम देंगे।
40 से अधिक देशों की भागीदारी
गौरतलब है कि एक्सपीआर-25 को पनडुब्बी बचाव पर केंद्रित अब तक का सबसे बड़ा सहयोगात्मक अभ्यास माना जाता है। इसमें 40 से अधिक देश शामिल हुए हैं। इस मंच पर भारत की मौजूदगी न केवल उसकी तकनीकी क्षमता को दर्शाती है, बल्कि वैश्विक स्तर पर पनडुब्बी कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी अहम योगदान है।