भारत की अंतरिक्ष सुरक्षा योजना: 50 ‘बॉडीगार्ड’ उपग्रहों से उपग्रहों की रक्षा

नई दिल्ली। भारत अब अपने अंतरिक्ष में मौजूद उपग्रहों को संभावित बाहरी खतरों से बचाने के लिए नई सुरक्षा योजना पर काम कर रहा है। यह पहल विशेषकर उन हमलों को रोकने के उद्देश्य से की जा रही है, जो किसी अन्य देश के उपग्रहों से हो सकते हैं। सूत्रों के अनुसार, हाल ही में एक विदेशी उपग्रह भारत के एक उपग्रह के बेहद करीब गुजरा था, जिसने इस दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता को स्पष्ट किया।

योजना के तहत भारत ‘बॉडीगार्ड’ उपग्रह विकसित करेगा, जो मुख्य उपग्रहों के पास रहकर उन्हें संभावित खतरों से बचाएंगे और संदिग्ध गतिविधियों की पहचान करेंगे। यह कदम विशेष रूप से रक्षा और निगरानी कार्यों में लगे इसरो के उपग्रहों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर उठाया जा रहा है।

50 निगरानी उपग्रहों की योजना
जानकारी के अनुसार, उपग्रह सुरक्षा परियोजना के तहत करीब 27,000 करोड़ रुपये की लागत से 50 निगरानी उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे। पहला उपग्रह अगले वर्ष लॉन्च होने की संभावना है। भारत के पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्तान की अंतरिक्ष क्षमताओं को देखते हुए यह कदम अहम माना जा रहा है। पाकिस्तान के पास आठ उपग्रह हैं, जबकि भारत के 100 से अधिक उपग्रह हैं। चीन इस मामले में सबसे आगे है और उसके पास 930 से अधिक उपग्रह हैं।

चीन की अंतरिक्ष गतिविधियों पर नजर
भारत और अमेरिका दोनों ने पहले ही चेतावनी दी है कि चीन अपनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जरिए अंतरिक्ष में तेजी से और उन्नत तरीके से सक्रिय हो रहा है। जून में एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित ने भी कहा था कि चीन की अंतरिक्ष गतिविधियां तेजी से बढ़ रही हैं और यह क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए चुनौती है।

स्टार्टअप्स के साथ सहयोग
भारत सरकार अब स्टार्टअप्स के साथ मिलकर ऐसे तकनीकी समाधान खोज रही है, जो संभावित खतरों की पहचान जल्दी कर सकें। इसमें लाइट डिटेक्शन और रेंजिंग तकनीक वाले उपग्रह शामिल हैं, जो किसी उपग्रह पर संभावित खतरे का संकेत मिलने पर उसे सही दिशा में भेजने में मदद करेंगे। इसरो के पूर्व अधिकारी सुधीर कुमार ने बताया कि इसके लिए जमीन पर रडार और दूरबीनों का नेटवर्क भी आवश्यक होगा।

इसरो की भूमिका
इसरो ने इस साल मई में भारत और पाकिस्तान के बीच सीमित सैन्य संघर्ष के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उस समय 400 से अधिक वैज्ञानिक दिन-रात काम कर रहे थे, ताकि निगरानी और संचार से जुड़े उपग्रह पूरी क्षमता से काम कर सकें। इस अनुभव ने भारत को अंतरिक्ष सुरक्षा को और मजबूत करने की प्रेरणा दी है।

इस योजना से भारत के उपग्रहों की सुरक्षा बढ़ेगी और अंतरिक्ष में किसी भी संभावित खतरनाक गतिविधि का समय रहते पता लग सकेगा।

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