फिलिस्तीन को अलग देश की मान्यता मिलने के तुरंत बाद ब्रिटेन ने अपने आधिकारिक नक्शे में बदलाव किया है। नए नक्शे में फिलिस्तीन को इजराइल के बगल में स्वतंत्र देश के रूप में दर्शाया गया है। इसी बीच, फ्रांस की राजधानी पेरिस के ऐतिहासिक एफिल टावर पर फिलिस्तीन का झंडा लहराते हुए देखा गया। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में एफिल टावर पर फिलिस्तीन और इजराइल दोनों के झंडे दिखाई दे रहे हैं।
यह पहला मौका है जब संयुक्त राष्ट्र की बैठक से पहले यूरोप में इजराइल-फिलिस्तीन विवाद पर इतनी व्यापक प्रतिक्रिया देखी गई है।
चार देशों ने 24 घंटे में दी मान्यता
पिछले 24 घंटे के भीतर ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और पुर्तगाल ने फिलिस्तीन को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दी है। इन देशों के समर्थन से इजराइल को बड़ा राजनीतिक झटका लगा है। अब यूरोप के अधिकांश देश फिलिस्तीन के पक्ष में खड़े दिखाई दे रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र के पांच स्थायी सदस्यों में से चार ने फिलिस्तीन को अलग देश के रूप में स्वीकार कर लिया है। केवल अमेरिका फिलिस्तीन के विरोध में है। इसके अलावा, 150 से अधिक देशों ने फिलिस्तीन को मान्यता देने की घोषणा की है। सऊदी अरब और फ्रांस की कोशिश है कि इस सत्र में संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन से संबंधित प्रस्ताव पेश किया जाए।
फिलिस्तीन को मान्यता क्यों?
इजराइल और फिलिस्तीन के बीच 1948 से लगातार संघर्ष चल रहा है। दोनों देशों के बीच जमीन और यरूशलेम स्थित पवित्र अल-अक्सा मस्जिद को लेकर विवाद जारी है। इजराइल अमेरिका के समर्थन से फिलिस्तीन में अपने प्रभाव को बढ़ाता रहा है। इसे रोकने के लिए सऊदी अरब ने “दो-राज्य सिद्धांत” का प्रस्ताव रखा है।
सऊदी अरब का मानना है कि दोनों देशों की सीमाएं तय होने और फिलिस्तीन को स्वतंत्र देश बनने से क्षेत्र में स्थिरता आ सकती है। फिलहाल फिलिस्तीन में कोई स्थायी सरकार नहीं है और हमास प्रशासनिक नियंत्रण में है। हमास को ईरान का प्रॉक्सी संगठन माना जाता है।