मप्र। सतना जिले के अमरपाटन मार्ग पर भटनवारा गांव में स्थित मां कालिका का प्राचीन मंदिर नवरात्रि के पावन पर्व पर भक्तों से गुलजार रहता है। यह मंदिर अपनी ऐतिहासिकता के साथ-साथ यक्षिणी रूप में विराजी माता की अद्भुत मान्यताओं के लिए भी प्रसिद्ध है। स्थानीय श्रद्धालुओं का मानना है कि माता प्रतिदिन तीन बार अपने चेहरे के भाव बदलती हैं।
मंदिर के पुजारी प्रभात शुक्ला बताते हैं कि सूर्य की रोशनी के अनुसार माता का तेज बढ़ता और घटता है। सुबह, दोपहर और शाम में प्रतिमा के भाव अलग दिखाई देते हैं। कहा जाता है कि माता की आंखें सूर्य की दिशा का अनुसरण करती हैं और दोपहर में उनकी दृष्टि इतनी तीव्र होती है कि लंबे समय तक उन्हें देख पाना मुश्किल होता है।
भटनवारा मंदिर की प्रतिमा लगभग 700-800 साल पुरानी मानी जाती है और मौर्य काल से इसका संबंध जोड़ा जाता है। पुरानी कहानियों के अनुसार यह प्रतिमा पहले करारी नदी के किनारे मिली थी, जिसे चोर ले जाने की कोशिश करते हुए असफल रहे। बाद में माता ने एक भक्त को स्वप्न दिखाकर मंदिर निर्माण का संकेत दिया, और राजा ने भव्य मंदिर का निर्माण कराया।
भक्तों का कहना है कि यहां उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सतना से दर्शन के लिए आए दीपक नामदेव ने बताया, “हर साल नवरात्रि पर हम माता के दर्शन करने आते हैं और हमारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।”