नई दिल्ली/लेह। लद्दाख के प्रसिद्ध पर्यावरणविद और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक की संस्था स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) का विदेशी चंदा लेने का लाइसेंस सरकार ने रद्द कर दिया है। अब यह संस्था विदेश से न तो चंदा ले सकेगी और न ही किसी प्रकार की आर्थिक मदद। हालांकि, लाइसेंस रद्द किए जाने के कारणों को लेकर सरकार की ओर से फिलहाल कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है।
1988 में हुई थी स्थापना
सोनम वांगचुक ने 1988 में इस संस्था की नींव रखी थी। तब से यह संगठन शिक्षा सुधार, पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक गतिविधियों के क्षेत्र में सक्रिय रहा है। सरकार के इस कदम के बाद लद्दाख की राजनीति और सामाजिक माहौल में हलचल तेज हो गई है। वांगचुक बीते कई महीनों से लद्दाख की संवैधानिक स्थिति और पर्यावरणीय चुनौतियों को लेकर मुखर रहे हैं।
हालिया हिंसा के लिए ठहराए गए जिम्मेदार
10 सितंबर से वांगचुक लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और उसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर थे। इस दौरान क्षेत्र में 1989 के बाद की सबसे गंभीर हिंसा देखने को मिली। प्रदर्शनकारियों ने भाजपा कार्यालय और हिल काउंसिल पर हमला कर वाहनों को आग के हवाले कर दिया। हालात काबू में लाने के लिए पुलिस व अर्धसैनिक बलों को आंसू गैस का सहारा लेना पड़ा। झड़पों में चार प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई और 30 से अधिक पुलिसकर्मियों सहित करीब 80 लोग घायल हो गए।
गृह मंत्रालय ने बयान जारी कर दावा किया कि सोनम वांगचुक के उत्तेजक बयानों ने भीड़ को भड़काया। मंत्रालय ने यह भी कहा कि हिंसा के दौरान उन्होंने उपवास तोड़ दिया और बिना स्थिति को शांत करने का प्रयास किए एम्बुलेंस से अपने गांव लौट गए।