लेह से देहरादून – इन्हें चाहिए आजादी!

24 सितंबर को लद्दाख के लेह में जिस तरह से आग लगाने की पूर्व कोशिश हुई और नौजवानों को आगे कर अराजकता फैलाने का प्रयास किया गया, उसकी तपिश उत्तराखंड की राजधानी तक आ पहुंची। उत्तराखंड चयन बोर्ड की परीक्षा का प्रश्न पत्र आउट करने वाले खालिद मलिक, उसकी बहन साबिया तथा पेपर का स्क्रीनशॉट अनेक लोगों को भेजने वाले बॉबी पंवार को गिरफ्तार कर चुकी है। प्रश्न पत्र आउट करने के मुख्य दोषी खालिद का मकान भी बुलडोजर ने ध्वस्त कर दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की जिस प्रकार लव जिहाद और लैंड जिहाद करने वालों का इलाज किया गया, वैसा ही इलाज नकल जिहाद वालों का किया जाएगा।

प्रश्न पत्र आउट कर ने वाले ने बता दिया है कैसे वह बहादराबाद कॉलेज, जहां परीक्षा होनी थी, की एक सप्ताह से रेकी कर रहा था, कैसे सीसीटीवी कैमरों और सुरक्षा व्यवस्था को धता बताकर कमरा नम्बर 9 में घुसा और प्रश्न पत्र का स्क्रीनशॉट लेकर उसे अपनी बहन को भेजा।

मुख्यमंत्री श्री धामी की पुलिस ने अविलम्ब अपराधियों को हिरासत में लेकर तहकीकात शुरू कर दी। सारे प्रकरण की जांच के लिए जजों की समिति नियुक्त कर दी जो एक मास में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

लेकिन भड़काने वाले चुप कैसे रहते। परेड ग्राउंड में कथित छात्रों की भीड़ एकत्र की गई। जो न छात्र थे, न अभ्यर्थी, 45-50 वर्ष के स्त्री-पुरुष माइक पर गए। कश्मीरी पृथकतावादियों की तर्ज पर नारे लगे – हमें चाहिए आजादी, लेके रहेंगे आजादी। लोग ताल ठोकते रहे, तालियां बजाते रहे, मुस्कुराते रहे। हिजाब पहिने एक मोहतरमा ने चिंघाड़ कर कहा- नेपाल को याद कीजिए, बात ऐसे नहीं बन सकती। एक नीली शर्ट वाले माइक से बोले -भले ही हम मुस्लिम हों लेकिन देशद्रोही नहीं। शायरी भी सुनाई। जितनी उत्तेजना फैलाई जा सकती थी, उसमें कसर नहीं छोड़ी गई। एक श्रीमती जी बोलीं- भगवा पहने और तिलक लगाने वालों को यहां से निकालो।

एनएमएफ चैनल के संवाददाता ने नारे लगवाने वालों से पूछा- पेपर आउट करने से लेकर रहेंगे आजादी का क्या संबंध है? हुड़दंग मचाने वालों ने पत्रकार से हाथापाई कर दी। फिर पेपर चोर गद्दी छोड़ के नारे लगाने लगे। क्या देश को अराजकता में झोंकने का खेल शुरू हो चुका है? और क्या इसके बाद गृहयुद्ध की तैयारी है?

गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’

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