बरेली। शुक्रवार की जुमे की नमाज के ठीक बाद शहर की सड़कों पर अफरा-तफरी मच गई जब मौलाना तौकीर रजा के आह्वान पर बड़ी संख्या में लोग उतर आए और कई स्थानों पर उपद्रव की घटनाएँ सामने आईं। भीड़ ने बाजारों में भगदड़ मचा दी, दुकानदारों ने शटर छलाँग कर बंद कर दिए और कुछ स्थानों पर रोडवेज बसें रोक ली गईं। घिरते हालातों के बीच पुलिस ने कड़ी कार्रवाई की; मुठभेड़ में दस पुलिसकर्मी घायल हुए जबकि पचास से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया।
पुलिस के अनुसार, कई जगहों पर उग्र भीड़ ने सुरक्षा घेरे तोड़ने के प्रयास में बच्चों को आगे लगाया, जिससे स्थिति और नाजुक हो गई। शासन को भेजी गई रिपोर्ट में पुलिस ने इन घटनाओं की गंभीरता रेखांकित करते हुए कहा है कि बच्चों को भीड़ में लाने वाले माता-पिता के खिलाफ भी कार्रवाई का प्रस्ताव रखा जा सकता है।
मौलाना तौकीर रजा के खिलाफ आधा दर्जन से अधिक मुकदमे पहले से दर्ज हैं, जिनमें धमकी देने, तोड़फोड़, जानलेवा हमले व धार्मिक भावनाएँ भड़काने जैसे मामले शामिल हैं। पुलिस ने बताया कि इनमें से कुछ मामलों में चार्जशीट भी दाखिल की जा चुकी है। अधिकारियों ने कहा कि पिछले वर्षों में भी मौलाना के बुलावे पर माहौल बिगड़ने की घटनाएँ दर्ज हैं और यही कारण है कि अब एनएसए (नेशनल सिक्योरिटी एक्ट) जैसे कड़े कदम पर भी गंभीरता से विचार किया जा रहा है।
पिछले विवादों के क्रम में अदालत ने मार्च 2024 में उपस्थिति का आदेश दिया था, लेकिन मौलाना पेश नहीं हुए; इसके बाद गैर-जमानती वारंट और कुर्की की कार्रवाई शुरू हुई और उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया गया था। इस बीच उनके कुछ करीबी सहायकों को गिरफ़्तार कर जेल भेजा जा चुका है और संबंधित संपत्तियों पर कुर्की नोटिस चस्पा किए गए थे। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट से उन्हें कुछ राहत भी मिली थी और मामला जिला न्यायालय में चल रहा है।
स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने कहा कि वे शहर में शांति बहाल रखने के लिए सतर्क हैं और उपद्रव फैलाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि घटना की गहन जांच जारी है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।