नई दिल्ली। कर्नाटक हाई कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह एक रूसी महिला नीना कुटीना और उसकी दो नाबालिग बेटियों को रूस वापस भेजने के लिए आवश्यक यात्रा दस्तावेज जारी करे। यह आदेश उस याचिका पर पारित किया गया जिसमें इजरायली नागरिक ड्रोर श्लोमो गोल्डस्टीन ने बच्चों के पिता होने का दावा करते हुए उनकी तत्काल निर्वासन प्रक्रिया को रोकने का अनुरोध किया था।
नीना कुटीना और उसकी बेटियां जुलाई में कर्नाटक के कुमता तालुका के गोकर्ण के पास रामतीर्थ पहाड़ियों की एक गुफा में मिली थीं। अधिकारियों ने बताया कि महिला और उसके बच्चे बिना वैध यात्रा या निवास दस्तावेज के लगभग दो महीने से गुफा में रह रहे थे।
कानूनी प्रक्रिया और सुनवाई
गोल्डस्टीन ने भारत में बच्चों का पता न लगाने के बाद दिसंबर में गोवा के पणजी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी। अदालत ने सुनवाई के दौरान यह भी दर्ज किया कि रूसी वाणिज्य दूतावास ने कुटीना और उसकी बेटियों के लिए आपातकालीन यात्रा दस्तावेज (ईटीडी) जारी किए हैं, जो केवल 9 अक्टूबर तक वैध हैं।
गोल्डस्टीन के वकील ने यह तर्क दिया कि बच्चों को तत्काल निर्वासित करना उनके सर्वोत्तम हितों के खिलाफ होगा। हालांकि, अदालत ने यह भी पाया कि गोल्डस्टीन ने यह स्पष्ट नहीं किया कि माता-पिता गुफा में अलग-थलग क्यों रह रहे थे।
बच्चों के कल्याण पर जोर
पीठ ने कहा कि बच्चों के कल्याण के दृष्टिकोण से मां का रूस लौटने का अनुरोध और रूसी सरकार की सहायता महत्वपूर्ण है। 22 अगस्त को हुई पूर्व सुनवाई में गोल्डस्टीन की टीम ने बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन का हवाला दिया था, जबकि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) अरविंद कामथ ने अदालत को आश्वासन दिया कि महिला और बच्चों की देखभाल विदेशी प्रतिबंध केंद्र में की जा रही है।
अदालत को बताया गया कि डीएनए परीक्षण लंबित था ताकि बच्चों के माता-पिता की पहचान की जा सके। सुनवाई के दौरान एएसजी ने कहा कि दूसरी बेटी की डीएनए रिपोर्ट मिल चुकी है और रूसी सरकार को सूचित कर दिया गया है। इसके बाद रूस ने कुटीना और बच्चों को यात्रा करने योग्य बनाने के लिए नागरिकता और आपातकालीन यात्रा दस्तावेज जारी किए हैं।