भक्तपुर। नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री और नेकपा (यूएमएल) के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली ने इस्तीफे के बाद शनिवार को पहली बार सार्वजनिक मंच पर वापसी की। वह पार्टी की छात्र इकाई, राष्ट्रीय युवा संघ के कार्यक्रम में पहुंचे। इसे उनकी राजनीतिक सक्रियता में वापसी और युवाओं से दोबारा जुड़ने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
ओली को बीते 9 सितंबर को इस्तीफा देना पड़ा था। इससे पहले संसद भवन के बाहर शुरू हुआ जेन-जी आंदोलन हिंसक हो गया था, जिसमें कई लोगों की जान गई और देशभर में आगजनी व तोड़फोड़ की घटनाएं हुईं। इस्तीफे के बाद सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया गया। उस दिन के बाद से ओली सार्वजनिक रूप से नजर नहीं आए थे।
जनता के सामने लौटे ओली
पार्टी उपमहासचिव प्रदीप ज्ञवाली ने हाल ही में संकेत दिया था कि ओली सचिवालय की बैठक में शामिल होंगे। इसी क्रम में शनिवार को उनकी यह सार्वजनिक मौजूदगी हुई। ओली ने कार्यक्रम में कहा कि उन्होंने देश में और खूनखराबा रोकने के लिए इस्तीफा दिया था। उन्होंने मौजूदा अंतरिम सरकार को “जनता की नहीं, हिंसा की उपज” बताया और इसे असंवैधानिक करार दिया।
नेपाली राजनीति में टकराव का दौर
नेपाल की संसद भंग हो चुकी है और अगले आम चुनाव मार्च 2026 में प्रस्तावित हैं। इस बीच आंदोलन थमा नहीं है। काठमांडू सहित कई बड़े शहरों में युवा लगातार राजनीतिक सुधार, भ्रष्टाचार पर सख्ती और सोशल मीडिया पर लगे विवादित प्रतिबंध को खत्म करने की मांग कर रहे हैं।
ओली का सार्वजनिक मंच पर आना केवल पार्टी को संभालने का प्रयास नहीं बल्कि अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता बनाए रखने की कवायद भी माना जा रहा है। हालांकि, यह सवाल बरकरार है कि जेन-जी आंदोलन की अगुवाई कर रही नई पीढ़ी उन्हें दोबारा स्वीकार करेगी या नहीं।
जेन-जी आंदोलन की पृष्ठभूमि
8 सितंबर को संसद भवन के बाहर छात्रों और युवाओं का प्रदर्शन अचानक उग्र हो गया था। सुरक्षा बलों ने पानी की बौछार, आंसू गैस और गोलीबारी तक का सहारा लिया। संसद में घुस चुके प्रदर्शनकारियों पर भी गोली चलाई गई। उस दिन 21 लोगों की मौत हुई थी, जबकि अगले दिन 39 और प्रदर्शनकारी मारे गए, जिनमें से 15 आगजनी की चपेट में आकर झुलस गए थे। अब तक कुल 74 लोगों की जान जा चुकी है।