केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त करने के प्रति सरकार के संकल्प को दोहराया और जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ सख्त नीति पर जोर दिया। ‘नक्सलमुक्त भारत’ विषय पर आयोजित सेमिनार के समापन सत्र में उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार नक्सलियों के सीजफायर प्रस्ताव को खारिज करती है। उन्होंने कहा कि जो नक्सली आत्मसमर्पण करना चाहते हैं, उनका स्वागत है, लेकिन कोई सीजफायर नहीं होगा। उन्होंने कहा, “यदि कोई आत्मसमर्पण करना चाहता है, तो हथियार डाल दें; एक भी गोली नहीं चलाई जाएगी। आत्मसमर्पण करने वालों के लिए लाल कालीन बिछा है।”
अमित शाह ने वामपंथी दलों पर भी कटाक्ष किया और उन पर नक्सलवाद को वैचारिक समर्थन देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद विकास की कमी के कारण नहीं, बल्कि ‘लाल आतंक’ के कारण फैला, जिससे कई क्षेत्रों में दशकों तक विकास नहीं पहुंच पाया।
सरकार के लक्ष्य पर ध्यान देते हुए शाह ने कहा कि भारत 31 मार्च 2026 तक नक्सलमुक्त हो जाएगा। उन्होंने बताया कि नक्सलवाद केवल हथियारबंद संघर्ष तक सीमित नहीं है, बल्कि यह विचारधारा और इसे मिलने वाले समर्थन से जुड़ा है। “बहुत से लोग सोचते हैं कि हथियारबंद गतिविधियां खत्म हो जाएंगी तो नक्सलवाद खत्म हो जाएगा, लेकिन हमें यह समझना होगा कि यह क्यों और कैसे फैला और किसने इसे वैचारिक, कानूनी और वित्तीय सहायता दी,” उन्होंने कहा।
जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद पर बात करते हुए शाह ने बताया कि अनुच्छेद 370 हटाने के बाद सुरक्षा स्थिति में सुधार हुआ है। सुरक्षा बलों की हताहत संख्या में 65% और नागरिकों की मौतों में 77% की कमी आई है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद पहली बार यहां पंचायत चुनाव संपन्न हुए, जिसमें जिला और तालुका पंचायत अध्यक्ष के लिए 99.8% मतदान हुआ। इससे यह स्पष्ट होता है कि जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र मजबूत हो रहा है और सामान्य जीवन धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहा है।
अमित शाह ने अंत में कहा कि नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में समाज और उससे जुड़े लोगों की सोच को समझना बेहद जरूरी है ताकि स्थायी समाधान सुनिश्चित किया जा सके।