फलस्तीन के राजदूत अब्दुल्ला अबू शावेश ने भारत की कूटनीतिक ताकत की सराहना करते हुए कहा कि भारत दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के रूप में वैश्विक स्तर पर अहम भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि जब भारत संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर निर्णय लेता है, तो उसका असर अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य को बदलने की क्षमता रखता है।
एक विशेष बातचीत में शावेश ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने फलस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) को हर साल 50 लाख डॉलर की सहायता देकर लगातार समर्थन दिया है। उन्होंने इसे भारत की सकारात्मक भूमिका और फलस्तीन के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया।
शावेश ने कहा कि फलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास और प्रधानमंत्री मोदी के बीच अच्छे संबंध हैं और उम्मीद है कि यह रिश्ते आगे और मजबूत होंगे। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति अब्बास ने प्रधानमंत्री मोदी को औपचारिक और व्यक्तिगत दोनों स्तरों पर पत्र लिखकर विभिन्न मुद्दों पर सहयोग की अपील की है।
फलस्तीनी राजदूत ने भारत और फलस्तीन के ऐतिहासिक रिश्तों की भी याद दिलाई। उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने लगभग एक ही समय पर स्वतंत्रता की घोषणा की थी। भारत ने फलस्तीन को मान्यता देने में सबसे आगे रहते हुए 1947 में विभाजन योजना के खिलाफ मतदान किया और 1974 में पीएलओ को फलस्तीनी जनता का वैध प्रतिनिधि स्वीकार किया।
शावेश ने कहा कि भारत की राजनीतिक और नैतिक शक्ति फलस्तीनी मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूती प्रदान कर सकती है।