तिरुवनंतपुरम: केरल विधानसभा ने सोमवार को मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया। प्रस्ताव में चुनाव आयोग से मतदाता सूची का पुनरीक्षण पारदर्शी और संवैधानिक तरीके से करने की अपील की गई। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने यह प्रस्ताव पेश किया, जिसे कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन यूडीएफ ने भी समर्थन दिया।
प्रमुख चिंताएं और आरोप
मुख्यमंत्री विजयन ने प्रस्ताव में कहा कि चुनाव आयोग द्वारा एसआईआर को लागू करने के लिए जल्दबाजी से उठाए गए कदमों के पीछे गलत मंशा होने की आशंका है। उन्होंने आरोप लगाया कि एसआईआर के माध्यम से पिछले दरवाजे से राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने बिहार में लागू की गई एसआईआर का हवाला देते हुए कहा कि वहां लोगों को मतदाता सूची से अतार्किक तरीके से बाहर रखा गया था और इसी मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर अपनाया जा सकता है।
प्रस्ताव में विशेष रूप से केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में एसआईआर को लागू करने की कोशिशों पर सवाल उठाए गए, जबकि बिहार में इस प्रक्रिया की संवैधानिक वैधता अभी सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है। मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी कि एसआईआर को जल्दबाजी में लागू करना लोकतंत्र के लिए नुकसानदेह हो सकता है।
हाशिए पर पड़े लोगों के अधिकारों की चिंता
सीएम विजयन ने कहा कि स्थानीय निकाय चुनाव और उसके तुरंत बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में एसआईआर को जल्दी लागू करना गलत मंशा का संकेत है। उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया के तहत हाशिए पर पड़े लोग, विशेष रूप से अल्पसंख्यक समुदाय, अनुसूचित जाति/जनजाति, महिलाएं और आर्थिक रूप से पिछड़े परिवार, मतदाता सूची से बाहर किए जा सकते हैं।
प्रस्ताव में यह भी मांग की गई कि मतदाता सूची में अनिवासी मतदाताओं के मताधिकार को बनाए रखा जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए यह आवश्यक है कि चुनाव आयोग ऐसे कदमों से दूर रहे जो नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन कर सकते हैं।