एशिया कप फाइनल में पाकिस्तान को हराने के बाद जब टीम इंडिया ट्रॉफी का इंतजार कर रही थी, तभी पुरस्कार वितरण समारोह में बड़ा विवाद खड़ा हो गया। एशियन क्रिकेट काउंसिल (एसीसी) के अध्यक्ष और पाकिस्तानी मंत्री मोहसिन नकवी ने ट्रॉफी देने पर जोर दिया, जबकि भारतीय खिलाड़ियों ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वे नकवी से खिताब स्वीकार नहीं करेंगे।
ट्रॉफी को लेकर टकराव
भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव के अनुसार, टीम का फैसला साफ था—ट्रॉफी नकवी से नहीं लेनी। आयोजकों ने बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की और सुझाव दिया कि पुरस्कार एमिरेट्स क्रिकेट बोर्ड के उपाध्यक्ष खालिद अल जरूनी के हाथों दिए जाएं। लेकिन नकवी अपनी जिद पर अड़े रहे। माहौल लगभग एक घंटे तक तनावपूर्ण बना रहा और अंत में आयोजकों ने बिना शोर-शराबे के ट्रॉफी वापस ले ली। इस बीच, व्यक्तिगत पुरस्कार पाने वाले खिलाड़ी—जैसे तिलक वर्मा और अभिषेक शर्मा—को सम्मान जरूर मिला।
“हमने किसी को इंतजार नहीं करवाया” – सूर्यकुमार
सूर्यकुमार यादव ने इस विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हम ड्रेसिंग रूम के अंदर नहीं बैठे थे, न ही किसी को इंतजार करवाया। हमने बस ट्रॉफी लेने से इंकार किया था। इसके बाद अचानक नकवी ट्रॉफी लेकर चले गए। भीड़ हूटिंग कर रही थी और हमें भी समझ नहीं आया कि मंच पर क्या चर्चा हो रही थी।”
उन्होंने यह भी साफ किया कि टीम का फैसला पूरी तरह स्वतंत्र था। “ना सरकार और ना ही बीसीसीआई की तरफ से हमें कोई निर्देश मिला था। यह मैदान पर खिलाड़ियों का सामूहिक निर्णय था,” सूर्यकुमार ने कहा।
फैंस की नाराजगी और माहौल
मैदान पर मौजूद दर्शकों ने इस पूरे घटनाक्रम पर नाराजगी जताई। कई फैंस ने ‘भारत माता की जय’ और ‘मोदी-मोदी’ के नारे लगाए। वहीं, जैसे ही पाकिस्तान के कप्तान सलमान अली आगा स्टेज की ओर बढ़े, उन्हें भी हूटिंग का सामना करना पड़ा। नकवी की स्थिति और असहज हो गई और वे ट्रॉफी लेकर सीधे होटल लौट गए।
इस दौरान भारतीय टीम मैदान पर ही मौजूद रही और खिलाड़ियों के फोन तक सहयोगी स्टाफ ने वहीं पहुंचा दिए। दूसरी ओर, पाकिस्तान की टीम मैच के बाद लंबे समय तक ड्रेसिंग रूम में रही, जिससे नकवी अकेले पड़ गए और यह सवाल खड़ा हो गया कि वे वहां पीसीबी का प्रतिनिधित्व कर रहे थे या एसीसी का।