जमुई सदर अस्पताल के कैंटीन में धूल फांक रहे जान बचानेवाले लाखों रुपये के 4 वेंटिलेटर

 पिछले साल कोरोना की पहली लहर के दौरान अगस्त महीने में पीएम केयर्स फंड से 4 वेंटिलेटर मरीजों के इलाज के लिए जमुई सदर अस्पताल भेजे गए थे, लेकिन बिहार का स्वास्थ्य विभाग इसे चलानेवाले तकनीशियन की नियुक्ति नहीं कर पाया.

जमुई. बिहार में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाहियों की कई रिपोर्ट्स सामने आ चुकी हैं. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग लगातार सब ठीक कर देने का दावा भी लगातार करता रहा है. लेकिन, स्थिति यह है कि लापरवाहियों का सिलसिला बदस्तूर जारी है. ताजा मामला जमुई सदर अस्पताल का है जहां कोरोना मरीज के इलाज के लिए जो चार वेंटिलेटर पीएम केयर्स फंड से मिले थे, वे सभी रसोई घर (कैंटीन) में धूल फांक रहे हैं. इंस्टॉल किया हुआ वेंटिलेटर अभी अस्पताल के किसी कमरे में नहीं बल्कि रसोई घर में एक कोने में पड़ा हुआ है. गौर करने वाली बात यह है भी है कि रसोई घर के जिस कोने में वेंटिलेटर रखा हुआ है वहां कैंटीन की गंदगी जमा की जाती है.

हैरानी की बात है जिस वेंटीलेटर से लोगों को जिंदगी मिलनी थी उसे चलाने के लिए जब डॉक्टर और तकनीशियन नहीं मिले जो स्वास्थ्य विभाग के लोगों ने उसे कैंटीन के कोने में रख दिया. जहां न तो रखरखाव की सुविधा है और ना देखभाल हो रही रही है. जाहिर है इस लापरवाही से वेंटिलेटर को नुकसान पहुंच सकता है. जब इसे चलाने के लिए डॉक्टर या तकनीशियन मिलेंगे तो संभवत जिंदगी बचाने वाली यह मशीन खराब हो चुकी होगी. जमुई सदर अस्पताल के उस रसोई घर के एक कोने में रखे गए वेंटीलेटर को देख कोई भी हैरान हो जाएगा. सवाल यह है कि महामारी के काल में जिस मशीन का उपयोग जिंदगी बचाने में होनी चाहिए थी वह इस तरह क्यों पड़ा हुआ है.

पीएम केयर्स फंड से मंगवाए गए थे चार वेंटिलेटर

बता दें कि पिछले साल 2020 में कोरोना की पहली लहर के दौरान अगस्त महीने में पीएम केयर्स फंड से मरीजों के इलाज के लिए जमुई सदर अस्पताल भेजे गए थे. तब इसे नशा मुक्ति केंद्र के एक कमरे में पटना से आए तकनीशियन ने इंस्टॉल किया था. जिले के लोगों में उम्मीद जगी थी कि वेंटिलेटर के अभाव में अब किसी की जान नहीं जाएगी. लेकिन, कोरोना की दूसरी लहर में भी वेंटीलेटर को चलाने के लिए ना तो तकनीशियन मिले और ना डॉक्टर.


स्वास्थ्य विभाग की लापरवाहियां माफ करने लायक नहीं

स्थिति यह हो गई कि अब उस नशा मुक्ति केंद्र में के कमरे में जब कोविड वार्ड बना और वेंटिलेटर का उपयोग नहीं हो रहा था तो उसे स्वास्थ्यकर्मियों ने सदर अस्पताल के कैंटीन के कोने में ही रख दिया. खास बात यह कि यहां किचन ही नहीं सदर अस्पताल के गंदे कपड़े भी रखे रहते हैं. हैरानी की बात है कि इन वेंटीलेटर को रखने के लिए कमरा भी नसीब नहीं हुआ. सवाल उठता है कि अभी इसे चलाने के लिए डॉक्टर या तकनीशियन नहीं मिले लेकिन जब मिलेंगे इस हालात में रखे गए ये लाखों के वेंटीलेटर के ठीक रह पाएंगे?

मौत के तांडव के बीच स्वास्थ्य महकमा इतना लापरवाह क्यों है?

सिविल सर्जन डॉ विनय कुमार शर्मा से जब वेंटिलेटर के रखरखाव को लेकर पूछा गया उन्होंने बताया कि वेंटिलेटर को चलाने के लिए तकनीशियन और डॉक्टर के लिए वैकेंसी भी निकाली गई, लेकिन कोई नहीं आया जबकि चारों वेंटीलेटर इंस्टॉल है. सिविल सर्जन से जब यह पूछा गया कि आखिर इसे किचेन में क्यों रखे गये हैं तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि इंस्टॉल वेंटिलेटर सदर अस्पताल की किचन में रखा गये हैं. उन्होंने कहा कि उसे जल्द ही वहां से हटाकर उचित स्थान पर रख दिया जाएगा. बहरहाल सवाल तो यह है कि आखिर स्वास्थ्य महकमा इतना गैर जिम्मेदार क्यों है?

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