ब्लैक फंगस और व्हाइट फंगस के बाद अब यैलो फंगस ने दस्तक दे दी है। गाजियाबाद में पीला फंगस का पहला मामला सामने आया है। यैलो फंगल को ब्लैक और व्हाइट फंगस से भी ज्यादा खतरनाक बताया जा रहा है। इसे मुकोर सेप्टिकस (पीला फंगस) का नाम दिया गया है। पीला फंगस का पहला मरीज हर्ष ईएनटी अस्पताल में मिला है। बताया जा रहा है कि इस मरीज में तीन लक्षण पाए गए हैं। अस्पताल के डॉक्टर बृजपाल त्यागी ने बताया कि पीला फंगस जल्दी घाव नहीं भरने देता। उन्होंने बताया कि मरीज की उम्र करीब 34 साल है और उसका इलाज शुरू कर दिया गया है।
पीले फंगस के लक्षण
सुस्ती, वजन कम होना, भूख कम लगना या बिल्कुल भी भूख न लगना।
जैसे-जैसे यह आगे बढ़ता है, वैसे-वैसे यह घातक होता जाता है। घावों से मवाद का रिसाव होना या घावों का जल्दी से ठीक न होना इसके लक्षणों में से एक हैं।
कुपोषण और अंग विफलता
आंखें अंदर को धंसना।
पीले फंगस का कारण
येलो फंगस फैलने का कारण अनहाईजीन है। डॉक्टरों के मुताबिक अपने घर के आसपास साफ-सफाई रखें क्योंकि स्वच्छता से ही बैक्टीरिया और फ़ंगस बढ़ने से रोका जा सकता है। बहुत अधिक नमी होने की तुलना में कम आर्द्रता से इस फंगस से निपटना आसान है।
येलो फंगस का इलाज
पीले फंगस का इलाज एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन है, जो एक एंटी-फंगल दवा है।