टेस्ला ग्राहकों को जुर्माने के रूप में मिलेंगे 16,000 डॉलर, जानिएं वजह

टेस्ला को अपनी कारों में सॉफ्टवेयर अपडेट के बाद चार्जिंग स्पीड कम करने और बैटरी कैपेसिटी को घटाने के मामले में दोषी पाया गया है। नॉर्वे की एक कोर्ट ने यह फैसला दिया। लगभग 30 कार मालिकों ने कंपनी के खिलाफ कोर्ट में एक शिकायत दर्ज की थी। इस शिकायत में कंपनी पर आरोप था कि उसने 2019 में सॉफ्टवेअर अपडेट के बाद कार की बैटरी लाइफ और इसकी चार्जिंग स्पीड को भी कम कर दिया। कोर्ट ने कार कंपनी टेस्ला को जुर्माने के रूप में $16,000 (लगभग 11.65 लाख रुपये) का भुगतान हर प्रभावित उपभोक्ता को करने को कहा।

जून 2019 में जिन लोगों ने साल 2013 और 2015 के बीच बनी टेस्ला के मॉडल-एस की कार खरीदी उनमें एक सॉफ्टवेयर अपडेट के बाद अचानक से ही कार की किलोमीटर रेंज और बैटरी कैपेसिटी दोनों कम हो गईं। उसके बाद कंपनी ने कहा कि ऐसा बैटरी की सुरक्षा और उसकी दीर्घकालिकता को बढाने के लिए किया गया है। 16.1 और 16.2 सॉफ्टवेयर अपडेट के बाद इन वाहनों में यह समस्या आनी शुरू हो गई थी।

नॉर्वे के न्यूज आउटलेट  के मुताबिक टेस्ला ने नॉर्वे में लगभग 10 हजार Model S कारों की बिक्री की थी। इसलिए टेस्ला के लिए नॉर्वे की कोर्ट की ओर से कंपनी के खिलाफ आया ये फैसला काफी महंगा साबित हुआ है। यह फैसला 17 मई को सुनाया गया। टेस्ला को जुर्माने का भुगतान 31 मई तक करने को कहा गया है अथवा 17 जून तक दोबारा केस अपील करने को कहा गया है।

सॉफ्टवेयर अपडेट के बाद टेस्ला कार मालिकों को कार रेंज में कमी होने की समस्या सामने आ रही है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि 2016 में जो मॉडल रोक दिए गए उनमें से केवल Model S और Model X ही इस सॉफ्टवेयर अपडेट से प्रभावित हुए थे।

Forbes की एक रिपोर्ट के अनुसार टेस्ला के खिलाफ इसी तरह के मुकदमे और भी कई जगह दायर किए गए हैं। 2019 में ही सामूहिक कार्रवाई का एक मुकदमा नॉर्थ कैलीफोर्निया में दायर किया गया था। इसमें कहा गया था कि सॉफ्टवेयर अपडेट के बाद पुराने कार मॉडल्स की रेंज 40 मील तक कम हो गई। इस शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया था कि टेस्ला ने उपभोक्ताओं के प्रति समाधान, रिपेयर और बैटरी रिप्लेस करने जैसे कानूनी दायित्वों से बचने के लिए सॉफ्टवेयर के साथ छेड़छाड़ भी की थी।

अब टेस्ला के पास नॉर्वे में इस फैसले के खिलाफ अपील दर्ज करवाने के लिए कुछ हफ्तों का समय शेष है। यदि टेस्ला नॉर्वे कोर्ट के इस फैसले को चुनौती नहीं देती है तो कंपनी को लगभग 160 मिलियन डॉलर (लगभग 1,160 करोड़ रुपये) नुकसानों की भरपाई में देने होंगे।

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