उत्तर प्रदेश में कोरोना की वजह से अनाथ हुए बच्चों की अधिकतम आयु 18 से बढ़ाकर 23 वर्ष और अभिभावकों की आय 2 लाख प्रतिवर्ष से बढ़ाने या खत्म करने पर विचार किया जा रहा है। इसे लेकर कल्याण विभाग योजना के प्रावधानों में संशोधन पर मंथन कर रहा है। कहा जा राहा है कि संशोधित प्रस्तावों को मुख्यमंत्री योगी की मंजूरी मिलने के बाद दोबारा कैबिनेट से मंजूरी दिलाई जा सकती है।
वर्तमान में मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना में अनाथ बच्चों की आयु 18 साल और अभिभावकों की अधिकतम आय सीमा 2 लाख रुपए प्रतिवर्ष निर्धारित है। विभाग का मानना है कि प्रदेश में 18 साल से अधिक उम्र वाले ऐसे भी विद्यार्थी हैं, जो कोरोना की वजह से अनाथ हो गए हैं और वह उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
वहीं, सरकार का भी मानना है कि अनाथ बच्चों की देखभाल करने वाले अभिभावकों के पास खुद की भी जिम्मेदारी होगी। ऐसे में उन्हें आर्थिक दिक्कत का सामना न करना पड़े। योजना के लागू होने के बाद मिल रहे फीडबैक को देखते हुए मुख्यमंत्री भी कई बैठकों में योजना का अधिक से अधिक लोगों को लाभ देने की मंशा जाहिर कर चुके हैं। विभाग के उच्च अधिकारी का कहना है कि पहले ही आयु सीमा 23 वर्ष रखने का प्रस्ताव था, लेकिन सहमति नहीं बन पाने की वजह से आयु 18 वर्ष निर्धारित की गई थी।
बता दें कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए घातक होने की आशंका जताई जा रही है। हालांकि, इससे पहले दूसरी लहर ने ही कई बच्चों से उनका सब कुछ छीन लिया है। राज्य बाल आयोग ने प्रदेश भर से जो रिपोर्ट ली है, उसके मुताबिक अब तक 359 बच्चे महामारी में माता-पिता की मौत हो जाने से अनाथ हो चुके हैं।