झारखंड की न्यायपालिका करीब डेढ़ साल से वर्चुअल होकर जरूरी मामलों की सुनवाई करते हुए निष्पादन दर को बेहतर तो बना रही है, लेकिन अदालतों में बहस करने वाले वकीलों का हौसला अब टूटने लगा है। पिछले डेढ़ साल से आर्थिक तंगी की मार झेल रहे राज्य के करीब 150 वकीलों ने तो पेशा बदलने का निर्णय ले लिया है।
हालत यह है कि कई वकील वकालत का लाइसेंस निलंबित करा कर पेंशन लेने की सोच रहे हैं। कुछ वकीलों ने दूसरा व्यवसाय शुरू करने का निर्णय लिया है। वकीलों का कहना है कि फिजिकल कोर्ट कब से शुरू होगा, कितने दिन चलेगा, सब कुछ अभी अधर में है। ऐसे में अब वे वकालत के भरोसे नहीं नहीं रह सकते हैं। पिछले डेढ़ साल से वकीलों को सरकार, बार कौंसिल और दूसरे फोरम से पर्याप्त मदद नहीं मिल रही है। थोड़ी बहुत मदद स्थानीय बार संघों ने की है और निजी स्तर पर कुछ वकीलों ने जरूरमंदों को आर्थिक मदद की है।