निर्वाचन आयोग को हाई कोर्ट के सख्त निर्देश : ‘निष्पक्ष कराएं जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव’

सीतापुर से जिला पंचायत अध्यक्ष की प्रत्याशी अनीता भदौरिया की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्वाचन आयोग को सख्त निर्देश दिए हैं. अनीता की तरफ से निष्पक्ष और दबावमुक्त चुनाव कराने की मांग को लेकर याचिका थी जिसपर कोर्ट ने निष्पक्ष चुनाव कराए जाने का आदेश दिया है साथ ही रिपोर्ट भी तलब की है।

जस्टिस राजन रॉय और सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी अनीता की याचिका पर खास तौर से ये निर्देश दिए हैं.

  • चुनाव की पूरी कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाए.
  • चुनाव आयोग ने जिस ऑब्जर्वर को नियुक्त किया है वो पूरे चुनाव की कार्यवाही को नोट करे.
  • पब्लिक इंटरेस्ट को देखते हुए ये ध्यान दिया जाए कि चुनाव की प्रक्रिया और दूसरे सदस्यों का उत्पीड़न न हो.

दरअसल, अनीता भदौरिया ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि चुनाव की वजह से ही उनके परिवार के दूसरे सदस्यों के खिलाफ प्रशासन कार्रवाई कर रहा है. उनकी तरफ से पेश एडवोकेट ने कहा कि सत्ताधारी पार्टी की तरफ से अपने प्रत्याशी के पक्ष में चुनाव प्रभावित करने के लिए दूसरे प्रत्याशियों पर दबाव डाला जा रहा है, ऐसे उम्मीदवारों और उनके रिश्तेदारों के खिलाफ मुकदमे भी दर्ज किए जा रहे हैं.

याचिकाकर्ता का कहना है कि इन सब के बीच चुनाव को निष्पक्ष कराना मुमकिन नहीं है. वहीं आयोग की तरफ से भरोसा दिलाया गया है कि ऑब्जर्वर की नियुक्ति पहले ही कर दी गई है और चुनाव प्रक्रिया को किसी भी तरह से प्रभावित करने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा.कोर्ट ने दोनों तरफ की दलील सुनने के बाद निष्पक्ष तरीके से चुनाव कराने के आदेश दिए हैं साथ ही ये भी कहा है कि अगर चुनाव प्रभावित होने की कोई बात सामने आती है तो उस मुद्दे पर सुनवाई हो सकती है. मामले की अगली सुनवाई 9 जुलाई को होगी.

बीजेपी पर भरोसा नहीं है, इसलिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया

याचिकाकर्ता के पति आनंद भदौरिया जो समाजवादी पार्टी एमएलसी हैं वो पुलिस पर आरोप लगा रहे हैं. उनका कहना है कि पुलिस-प्रशासन मनमाने तरह से काम कर रही है.पुलिस और प्रशासन दिन में पंचायत सदस्य को उठा लेता है और रात के बारह बजे उसको बीजेपी उम्मीदवार को सौंप देते हैं. इस तरह सारे मेम्बर को बंधक बना कर रखा गया है.आनंद भदौरिया, एमएलसी, एसपी

आनंद भदौरिया का कहना है कि बीजेपी सरकार पर उन्हें भरोसा नहीं है. इसी वजह से उन्हें कोर्ट जाने का फैसला करना पड़ा.

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