ट्रेजेडी किंग के नाम से मशहूर फिल्म अभिनेता 98 वर्षीय मोहम्मद यूसुफ खान उर्फ दिलीप कुमार ने आज बुधवार को प्रातः साढ़े सात बजे मुंबई के अस्पताल में अंतिम सांस ली। दिलीप कुमार की लोकप्रियता भारतीय उप-महाद्वीप में बुलंदी के महाशिखर को छूती रही। भारत ने अपने प्रिय कलाकार को जहां पद्मविभूषण सम्मान से नवाजा, वहीं पाकिस्तान ने अपने सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान ‘निशान-ए–पाकिस्तान’ से सम्मानित किया।
अपनी विलक्षण अभिनय प्रतिभा के बल पर वे कई पीढ़ियों के दिलों पर राज करते रहे। भारत कोकिला लता मंगेशकर ने ठीक ही कहा है – ‘युसूफ भाई के जाने से एक युग का अंत हो गया है।
उनकी फिल्म ‘शहीद’ के एक गाने की प्रथम पंक्ति आज भी याद है- ‘वतन की राह में वतन के नौजवां शहीद हों।’ फिल्म ‘मेला’ का गीत ‘ये ज़िन्दगी के मेले हरगिज़ भी कम न होंगे, अफसोस हम न होंगे।’
ऐसे महान् कलाकार को हमारा नमन।
गोविंद वर्मा
संपादक देहात