भारत के औषधि महानियंत्रक ने GSK को कोरोना वैक्सीन के तीसरे चरण के अध्ययन की मंजूरी दी

मुंबई। भारत के औषधि महानियंत्रक (डीजीसीआई) ने सनोफी और ग्लैक्सो स्मिथ क्लाइन को भारत में उनके कोरोना वैक्सीन की सुरक्षा, प्रभावकारिता और प्रतिरक्षात्मकता के आकलन के लिए तीसरे चरण के अध्ययन करने की मंजूरी दे दी है। डबल-ब्लाइंड चरण- III के अध्ययन में 18 वर्ष की आयु के 35,000 से अधिक स्वयंसेवक शामिल होंगे। परीक्षण का मुख्य उद्देश्य कोरोना संक्रमण को रोकने के साथ-साथ गंभीर बीमारी और स्पर्शोन्मुख संक्रमण को कम करना है।

सनोफी पाश्चर इंडिया के कंट्री हेड अन्नपूर्णा दास ने एक बयान में कहा कि भारत सनोफी पाश्चर के तीसरे चरण के अध्ययन में भाग ले रहा है, हमें जल्द ही देश में अध्ययन के लिए प्रतिभागियों का नामांकन शुरू करना चाहेंगे। हम अनुमान लगा रहे हैं कि आने वाले महीनों और वर्षों में जैसे-जैसे वायरस विकसित होगा तो इसको रोकने के लिए क्या आवश्यक होगा। उन्होंने आगे कहा कि हमारा मानना है कि हमारा कोरोना एडजुवेंटेड, रीकॉम्बिनेंट वैक्सीन कोरोना के खिलाफ जारी लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।

ये दो चरणों में होगा। शुरुआती अध्ययन में वायरस स्ट्रेन (D614) को लक्षित करने वाले वैक्सीन निर्माण की प्रभावकारिता की जांच करेगा, जबकि दूसरा चरण बीटा संस्करण (B1351) को लक्षित करने वाले दूसरे फॉर्मूलेशन का मूल्यांकन करेगा। दूसरे चरण के परीक्षण में अमेरिका और होंडुरास के 722 वयस्क लोगों को शामिल किया गया था, जिनकी उम्र 18 से 95 वर्ष के बीच थी। परीक्षण में सभी आयु के लोगों में एक मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता को उत्पन्न किया। तीसरे चरण का अध्ययन आरंभ वैश्विक अंतरिम चरण 2 के परिणामों का अनुसरण करता है। हाल के वैज्ञानिक प्रमाणों से पता चलता है कि बीटा संस्करण के खिलाफ बनाए गए एंटीबॉडी अन्य अधिक पारगम्य वैरिएंट के खिलाफ व्यापक सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं। फ्रांसीसी फार्मा कंपनी सनोफी और उसके ब्रिटिश सहकर्मी जीएसके का लक्ष्य 2021 में एक बिलियन खुराक उत्पादन करना है।

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