सैनेटाइजर की डिमांड 80 फीसद घटी, रेमडेसिविर का स्टाक जाम

कोरोना के दूसरी लहर के खत्म होने के बाद सैनेटाइजर की डिमांड 80 फीसद घट गई है। वहीं, डिमांड की वजह कालीबाजी की स्थिति तक पहुंचने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन का स्टाक भी जाम हो गया है। दवा बाजार के मुताबिक रेमेडेसिविर के करीब 10 हजार वायल डंप पड़े हुए हैं। जबकि एक समय ऐसा था कि इस इंजेक्शन के लिए मारा-मारी मची हुई थी और कालाबाजारी जोरों पर थी। एक-एक इंजेक्शन 35 हजार रुपये तक में बिका था।

दवा व्यापारियों के मुताबिक, कोरोना के दूसरी लहर के दौरान सैनेटाइजर की मांग में लगातार बढ़ोतरी होती गई और अब इसमें तेजी से गिरावट आई है। अब स्थिति यह है कि जहां सैनेटाइजर के 100 बाटल बिकती थीं, वहां 25 से 30 बोटल ही बिक रही हैं। यानी व्यापार 80 फीसद तक गिर गया है। इधर, रेमडेसिविर इंजेक्शन का भी पूरा मार्केट गिर गया है। दूसरी लहर के दौरान जहां हर दिन लगभग 7000 रेमडेसिविर इंजेक्शन की डिमांड थी। अब हर दिन बमुश्किल 10 इंजेक्शन ही बिक रहे।

अभी भी रेमडेसिविर औषिध प्रशासन के कंट्रोल में है। दवा व्यापारियों को रेमडेसिविर विक्रय की पूरी जानकारी प्रशासन को उपलब्ध करानी पड़ रही है। दवा व्यापारियों ने बताया कि बाजार में 10 हजार से अधिक रेमडेसिवर डंप हैं। अब इसके एक्सपायरी होने की चिंता सताने लगी है।

वर्जन

सैनेटाइजर की मांग 25 से 30 फीसद ही रह गई है। रेमडेसिविर की मांग करीब करीब खत्म हो गया है। राज्य में 10 हजार से अधिक रेमडेसिविर का स्टाक जाम पड़ा हुआ है।

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