टोक्यो में भारतीय हॉकी टीम ने 41 साल बाद न केवल इतिहास रचा। बल्कि हॉकी काे उसका गौरव भी दिला दिया। एक तरफ टीम टोक्यो में मैदान पर आरपार की लड़ाई के लिए दमखम लगा रही थी। वहीं धर्मनगरी में जीत के लिए दुआएं हो रही थी। हर पल टेंशन बनी रही। जब तक टीम की जीत नहीं हुई, तब तक टीम के खास सदस्य सुरेंद्र के परिजनों और गुरु व साथियों समेत हॉकी प्रेमियों की धड़कने बढ़ी रही। जैसे ही कांस्य पदक पक्का हुआ, हर चेहरा खिल उठा।
मां-बाप की आंखों से खुशी की आंसू छलक उठे। इसके बाद दिनभर सुरेंद्र के घर पर बधाइयां देने वालों का सिलसिला शुरू हो गया। यही सिलसिला सुरेंद्र के गुरु व कोच गुरविंद्र के यहां था। गुरविंद्र और माता-पिता की आंखों से आंसू छलक आए।
मां से कहा, तीसरे के हकदार : टोक्यो ओलिंपिक में गुरुवार को कांस्य पदक के लिए हुए पुरुष हॉकी के महा मुकाबले में जीत दर्ज करने के बाद हॉकी खिलाड़ी सुरेंद्र पालड़ की मां नीलम ने खुशी से झूमते हुए कहा कि इतनी खुशी तो उन्हें अपने ब्याह की भी नहीं होई थी, जितनी बेटे के पदक जीतने पर हो रही है। नीलम ने जहां मैच के दौरान गली में बैठी रही, वहीं पिता मलखान भी टेंशन के चलते टीवी से दूर ही रहे। बताया कि मैच से पहले सुरेंद्र ने फोन पर बात की। कहा कि हम गोल्ड व सिल्वर का मैच हारे हैं, लेकिन मां तीसरे के हम हकदार हैं। जिस पर मां ने बेटे को आशीर्वाद दिया। मैच के बाद भी बेटे को बधाई दी।
मैच में आखिर तक रहा रोमांच, जीत पर भतीजी ने चूमी टीवी स्क्रीन
भारतीय टीम ने शुरुआत में जर्मनी से पिछड़ने के बाद दमदार वापसी करते हुए मुकाबले को 5-4 से जीत लिया। मैच का रोमांच आखिर तक बरकरार रहा। मैच में आखिरी के छह सेकेंड बाकी रहते हुए जर्मनी की टीम के पैनल्टी कॉर्नर भी मिला, लेकिन जर्मनी इसे गोल में नहीं बदल पाया। सुरेंद्र के बड़े भाई नरेंद्र कुमार, भाभी कुसुम और भतीजी नक्श टीवी स्क्रीन पर मैच देखते हुए टीम इंडिया के गोल पर तालियां बजा रहे थे।
वहीं जर्मनी की टीम के गोल केरने पर हताश भी हुए। आखिर तक सस्पेंस बरकरार रहा और अंतिम क्षणों में मैच का फैसला हुआ। पैनल्टी कार्नर होने पर नरेंद्र, भाभी कुसुम और भतीजी दुआ कर रहे थे कि कैसे भी करके गोल न हो। जीत के साथ ही भतीजी नक्श ने टीवी स्क्रीन को चूम लिया।
मांगी मन्नत : घर में माता रानी का कराएंगे जागरण
वहीं पिता मलखान सिंह भी फूले नहीं समाए, कहा कि मैच के दौरान दिमाग ही काम नहीं कर रहा था। नहीं पता था कि ऐसा होगा। यह जरूर था कि टीम खाली नहीं लौटेगी। आज बेटे ने सारे दु:ख दूर कर दिए। सुरेंद्र के बड़े भाई नरेंद्र ने कहा कि उनकी मां ने मन्नत मांगी थी कि बेटा ओलिंपिक में मेडल जीतकर लाएगा तो वे घर पर माता रानी का जागरण करवाएंगे। इसके साथ ही अपने पैतृक गांव बराना खालसा में नगर खेड़े पर भंडारा भी देंगे। माता रानी और खेड़े महाराज ने मुराद को पूरा किया है।
जीत के बाद शहर में जश्न, विधायक व डीसी ने दी बधाई
जीत पर सुरेंद्र की मां और परिजनों को बधाई पहुंचे। इसके बाद सेक्टर आठ की मुख्य सड़क पर खड़े होकर जश्न मनाया गया। वहीं विधायक सुभाष सुधा, डीसी मुकुल कुमार के अलावा कई अधिकारी मेडल की बधाई देने सुरेंद्र के घर, साई और गुरु गुरविंद्र के घर पहुंचे।