नई दिल्ली। भारत सरकार के बायोटेक्नोलॉजी विभाग की सचिव डॉ रेणु स्वरूप ने सोमवार को कहा कि कोरोना रोधी वैक्सीन बायोलॉजिकल-ई को सितंबर के अंत तक मंजूरी मिल सकती है। डॉ. रेणु ने कहा कि भारत बायोटेक को 5 साल और उससे ऊपर उम्र के बच्चों के लिए वैक्सीन के ट्रायल की अनुमति मिली हुई है। इसी तरह बायोलॉजिकल-ई अभी फेज-3 ट्रायल में है। फिलहाल यह फेज-2 ट्रायल में है, फेज-3 ट्रायल की अनुमति इसे बच्चों के लिए मिली है।
उन्होंने कहा कि हम इन सभी वैक्सीन की टेस्टिंग कोरोना के अलग-अलग वेरिएंट के लिए भी कर रहे हैं। हम ऐसी वैक्सीन विकसित करने पर भी विचार कर रहे हैं जो किसी भी दूसरे वेरिएंट पर काम कर सके।
80,000 सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग की जा चुकी
डॉ रेणु ने कहा कि अब हम राज्यों के विभागों में भी जीनोम सीक्वेसिंग का विस्तार कर रहे हैं। अभी 80,000 सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग की जा चुकी है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि अभी तक जितने भी वैक्सीन लगने के बाद संक्रमित हुए हैं उनसे लिए गए सैंपल की सीक्वेंसिंग की गई है, उनमें नए वेरिएंट नहीं मिले हैं। इन मामलों में डेल्टा वेरिएंट और कुछ केस में अल्फा वेरिएंट भी पाए गए हैं।
बता दें कि ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने बीते शुक्रवार को जायडस कैडिला के जाइकोव-डी वैक्सीन इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी थी। इसका उपयोग 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों के साथ-साथ वयस्कों के लिए किया जा सकता है। जायकोव-डी दुनिया का पहला और भारत का स्वदेशी तौर पर विकसित डीएनए आधारित कोरोना वैक्सीन है।