इनेलो शनिवार को जींद की नई अनाजमंडी में मनाएगा पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल की 108वीं जयंती

यह आयोजन इनेलो हर साल प्रदेश में अलग-अलग जगहों पर करती रही है। इस बार जींद की धरती से 2024 में सत्ता की जमीन तैयार की जाएगी। हालांकि इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला प्रदेश में सबसे अधिक चार बार मुख्यमंत्री रहे हैं लेकिन उनकी पार्टी अलग-अलग कारणों से वर्ष 2014 के बाद सत्ता में नहीं आई है। 

इनेलो के प्रधान महासचिव अभय चौटाला भी इसी बात पर जोर दे रहे हैं कि रैली के बाद कांग्रेस व भाजपा के विरोधी दलों के एकजुट करने की कवायद शुरू हो जाएगी। ऐसे में शनिवार को होने वाली रैली ही तय करेगी कि क्या इनेलो प्रदेश की राजनीति को नया विकल्प दे पाएगी। 

दरअसल, इनेलो हरियाणा में काफी प्रभाव वाला राजनीतिक दल रहा है। चौधरी देवीलाल के नाम पर इनेलो को लोगों का आपार समर्थन मिलता रहा है। चौधरी देवीलाल द्वारा बनाए गए जनता दल से इनेलो नाम के साथ यह पार्टी पहली बार 2000 के चुनाव में मैदान में उतरी। 
शुरूआत में ही इनेलो ने शानदार प्रदर्शन किया। इनेलो ने कुल 90 में से 62 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे और 47 सीटों के साथ सरकार बनाई। हालांकि इससे पहले ही ओमप्रकाश चौटाला 1989 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए थे। 2000 के विधानसभा चुनाव में इनेलो ने 29.61 प्रतिशत मत हासिल किए। हालांकि उस समय कांग्रेस को 31.22 प्रतिशत मत मिले लेकिन कांग्रेस की सीट महज 21 रह गई थी। इसके बाद 2005 में हुए चुनाव में इनेलो को बुरी हार का सामना करना पड़ा। 

इनेलो पांच साल बाद 47 सीटों से सीधे नौ सीटों पर आई और प्रदेश में कुल 26.77 प्रतिशत मत मिले। करीब तीन प्रतिशत कम वोट मिलने पर ही इनेलो ने 38 सीट गंवा दी। 2009 के चुनाव में फिर से इनेलो सत्ता में तो नहीं आ सकी लेकिन 88 सीटों पर चुनाव लड़ कर 31 विधायक बना लिए। इस बार भी इनेलो का वोट प्रतिशत घट कर 25.79 रह गया। 2014 के विधानसभा चुनाव में इनेलो ने 88 सीटों पर चुनाव लड़ा और 24.11 प्रतिशत वोटों के साथ 19 विधायक बने। इसके बाद 2019 में इनेलो व देवीलाल परिवार में हुई फूट के बाद इनेलो को काफी नुकसान हुआ और 2019 के चुनाव में महज एक सीट ही जीत पाई। ऐसे में अब फिर से केंद्रीय हरियाणा में बांगर की धरती पर चौधरी देवीलाल के नाम से इनेलो खुद को मजबूत करने की कवायद चल रही है। 

इनेलो के प्रधान महाचिव अभय चौटाला जींद रैली से देश में राजनीतिक बदलाव की बात कर रहे हैं। साथ ही भाजपा व कांग्रेस के विरोध दलों को मजबूत करने का प्रयास किया जा रहा है। प्रदेश में भाजपा, कांग्रेस के बाद जजपा सबसे बड़ी पार्टी। जजपा भाजपा के साथ सत्ता में है। ऐसे में इनेलो के सामने अब यह बड़ी चुनौती होगी कि वह किन राजनीतिक दलों को साथ लेकर हरियाणा में राजनीतिक बदलाव लाएगी।

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