सरकार चाहे तो कृषि कानूनों को रद्द कर खत्म कर सकती है आंदोलन : राकेश टिकैत

नई दिल्ली। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि किसान तीनों कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं। जिस दिन केन्द्र सरकार इन कानूनों को रद्द कर देगी किसान अपने घरों को वापस लौट जाएंगे। टिकैत ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा कि यह आंदोलन किसान अपनी मर्जी से नहीं चला रहे हैं । सरकार चाहे तो किसानों की जायज मांगों को मानकर आंदोलन खत्म करा दे।

टिकैत ने कहा कि हरियाणा में 11 अक्टूबर तक धान की खरीद पर रोक लगा दी गई है। ऐसे में किसान अपने अनाज को लेकर कहां जाएं? उन्होंने कहा कि किसान खेत से अनाज लेकर मंडी ही जाते रहे हैं। सरकार मंडियों को बंद कर व्यापारियों के पास किसानों को भेजना चाह रही है।

टिकैत ने केन्द्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सार्वजनिक उपक्रमों को जिस तरह से निजी हाथों में सौंपा जा रहा है वो चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार आये दिन कुछ न कुछ व्यापारियों के हाथों में सौंप रही है। इसका ताजा उदाहरण एयर इंडिया का निजी करण करना है। उन्होंने कहा कि जब सब कुछ निजी हाथों में चला जाएगा तो देश का युवा और तेजी से बेरोजगार होगा। इस लिए युवाओं को भी किसान आंदोलन में शामिल होकर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों पर नाराजगी व्यक्त की है। कोर्ट ने कहा कि यातायात को बंद करना, ट्रेनों और राष्ट्रीय राजमार्गों को बंद करना ठीक नहीं है।

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