पवार ने लखीमपुर बवाल को बताया जलियावाला बाग कांड

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश और केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकारों पर लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा को लेकर  निशाना साधा। इस हिंसा में कुल आठ लोगों की मौत हुई। शरद पवार ने लखीमपुर खीरी बवाल की तुलना भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड से की है। साथ ही मांग की कि इस हिंसा की उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा जांच की जानी चाहिए। पवार ने किसानों को आश्वासन दिया कि वे अकेले नहीं हैं, विपक्ष उनके साथ है।

एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा, “हमारा देश हमे विरोध करने का अधिकार देता है। इसलिए किसान लखीमपुर खीरी में एकत्र हुए और मौन विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। उस समय उत्तर प्रदेश या केंद्र सरकार से संबंधित लोगों ने उनकी आवाज दबाने की कोशिश की और गाड़ी से उन्हें कुचल दिया। इस घटना में चार किसानों की मौत हो गई। इस कृत्य के लिए भाजपा सरकार के लोग जिम्मेदार हैं।”

पवार की ये टिप्पणी लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा खिलाफ दर्ज मुकदमे के एक दिन बाद आई है। इस हिंसा में किसानों ने दावा किया है कि आशीष मिश्रा ने रविवार को विरोध प्रदर्शन के दौरान अपनी एसयूवी से चार किसानों को कुचल दिया और हिंसा को शुरू किया।

हालांक् आशीष मिश्रा ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा बै कि वह उस वक्त कार में नहीं थे। इसके उलट उन्होंने किसानों पर वाहनों को आग लगाने और कार के चालक और दो भाजपा कार्यकर्ताओं सहित अन्य लोगों की पिटाई करने का आरोप लगाया। हिंसा में एक स्थानीय पत्रकार की भी मौत हो गई। हिंसा में मरने वाले आठ में से चार किसान थे। 

पवार ने कहा कि उन्होंने सुना है कि यूपी सरकार घटना की जांच एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश से कराने के लिए तैयार है। “लेकिन मैं चाहता हूं कि जांच सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा न्यायाधीश द्वारा की जाए और सच्चाई को सामने आने दिया जाए।” पवार ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने जलियांवाला बाग हत्याकांड जैसी स्थिति पैदा कर दी है और इसकी कीमत उन्हें एक दिन चुकानी पड़ेगी. उन्होंने कहा कि चुपचाप विरोध कर रहे किसानों पर हमला सरकार की मंशा को दर्शाता है। “मैं उन्हें (भाजपा) बताना चाहता हूं, आज आप सरकार में हैं और सत्ता का दुरुपयोग कर किसानों की आवाज दबाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन आप सफल नहीं होंगे। आपको न केवल उत्तर प्रदेश के किसानों से बल्कि पूरे देश से करारा जवाब मिलेगा।”

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