उत्तराखंड के लाल का शव सड़क बंद होने के कारण गांव नहीं पहुंच सका

जम्मू-कश्मीर के पुंछ क्षेत्र में आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हुए हरेंद्र सिंह के रिखणीखाल तहसील के गुर्ठेता ग्राम सभा के ग्राम पीपलसारी में मातम पसरा है। सोमवार को फिलहाल शहीद का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव नहीं पहुंच पाया है। सड़क बंद होने के कारण शहीद का पार्थिव शरीर रिखणीखाल हॉस्पिटल में रखा गया है।

पैतृक घाट पर होगा अंतिम संस्कार
शहीद की मां का रो-रोकर बुरा हाल है। शहीद के पिता सेना से सेवानिवृत्त सैनिक हैं। बेटे की शहादत से वह भी गमगीन हैं, लेकिन अपना दर्द वह सीने में छिपाए हुए हैं। शहीद का पार्थिव शरीर राजौरी से जौलीग्रांट तक विशेष विमान और इसके बाद सेना के विशेष वाहन से रविवार शाम को लैंसडौन सेना मुख्यालय लाया गया।

सोमवार सुबह पार्थिव शरीर अंतिम दर्शनों के लिए गांव लाया जाना था। लेकिन बारिश के कारण सड़क बंद होने के कारण दोपहर तक उनका पार्थिव शरीर गांव नहीं पहुंच सका। इसके बाद गांव के पैतृक घाट पर ही शहीद का अंतिम संस्कार सैनिक सम्मान के साथ किया जाना था। 

विशेष विमान से जॉलीग्रांट हवाई अड्डे लाया गया पार्थिव शरीर
ब्लॉक रिखणीखाल के पीपलसारी गांव निवासी नायक हरेंद्र सिंह (35) पुत्र छवाण सिंह 16वीं गढ़वाल राइफल्स में तैनात थे। वर्तमान में वह सेना की 48 आरआर रेजिमेंट में जम्मू कश्मीर के पुंछ इलाके में ड्यूटी पर थे। 15 अक्तूबर की रात आतंकियों से मुठभेड़ में नायक हरेंद्र सिंह शहीद हो गए थे।

मां का रो-रोक बुरा हाल
शहीद का पार्थिव शरीर राजौरी से विशेष विमान से जॉलीग्रांट हवाई अड्डे लाया गया। जहां से सैन्य वाहन से शहीद का पार्थिव शरीर रविवार शाम गढ़वाल राइफल्स मुख्यालय लैंसडौन लाया गया। शहीद की मां सरोजनी देवी और पिता पूर्व सैनिक छवाण सिंह रावत अपने पैतृक गांव पीपलसारी में रहते हैं, जबकि उनकी पत्नी लता देवी और दोनों बच्चों के साथ देहरादून के गढ़ीकैंट में रहती हैं।

रविवार सुबह सभी लोग गांव पहुंच गए। शहीद के पिता छवाण सिंह रावत ने बताया कि सेना की ओर से बीते शुक्रवार को उनके लापता होने की सूचना दी गई थी। शहीद होने की जानकारी उन्हें शनिवार देर शाम दी गई, लेकिन हरेंद्र की मां को रविवार सुबह ही इस बारे में बताया गया। तब से मां का रो-रोक बुरा हाल है। 

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