अलीगढ़ की मेडिकल ऑफिसर डॉ. आस्था अग्रवाल के हाईप्रोफाइल हत्याकांड में जो सच सामने आया है, वह वाकई चौंकाने वाला है। आस्था की हत्या सहित कई बातें खुद अरुण ने पुलिस पूछताछ में स्वीकारी हैं। पुलिस के अनुसार अरुण और आस्था दंपती के बीच विवाद का बड़ा कारण एक दूसरे के चरित्र पर संदेह रहा। एक तरफ आस्था को अरुण पर भरोसा न था। वहीं अरुण को आस्था और उसके करीबी मनीष चौधरी को लेकर संदेह था। शायद अविश्वास की यही नींव थी कि आस्था अरुण पर मकान व ऑक्सीजन प्लांट खुद के नाम कराने का दबाव बना रही थी। अरुण के अनुसार उसके साथ पिछले दिनों मनीष ने यह दबाव बनाते हुए मारपीट तक की थी। जिसके बाद कई दिन तक वह प्लांट पर ही रुका और बेहद मानसिक तनाव में रहा। इसी बीच प्लांट के गार्ड विकास ने उसका दर्द समझते हुए हत्या में मदद के लिए भाड़े पर अपराधी मुहैया कराए।
पुलिस के अनुसार पूछताछ में अरुण ने स्वीकारा कि वह अपनी पत्नी के व्यवहार और मनीष से करीबी को लेकर जब भी रोकटोक करता था, तो वह गाली गलौज करती थी। इसे लेकर आए दिन विवाद होता रहता था। विवाद से बचने के लिए वह अक्सर घर के बाहर रुकता था। इस पर वह अरुण पर तरह तरह के लांछन लगाती थी।
इसी बीच आस्था यह सोचकर उस पर वह मकान व प्लांट अपने नाम करने का दबाव बनाने लगी थी कि कहीं अरुण अपने शौक में संपत्तियां बर्बाद न कर दे। आस्था की मदद करते हुए दबंग छवि का मनीष उसे इसके लिए तरह तरह से धमकाता और डराता था। इतना ही नहीं, मारपीट तक की गई थी।
ट्यूटर को जल्दी बाहर भेजा, फिर की हत्या
पुलिस के अनुसार घटना वाली शाम करीब साढ़े सात बजे अरुण अपने साथ तीनों आरोपियों को अपनी सफेद वरना कार संख्या यूपी 13 जैड 1112 से अपने घर लेकर पहुंचा। कार घर से कुछ कदम पहले ही रोक दी थी। तीनों को वहीं छोड़कर घर के अंदर गया। इस दौरान बच्चों को ट्यूटर पढ़ा रहा था। इस पर उसने ट्यूटर से कहा कि बच्चों को कहीं घुमाने ले जाना है। आप जल्दी पढ़ाकर चले जाएं।