फरीदाबाद में चौहरे हत्याकांड के सभी आरोपी बरी

साल 1999 में फरीदाबाद में हुए बहुचर्चित चौहरे हत्याकांड के मुख्य आरोपी ब्रह्मजीत को साल 2004 में जिला अदालत ने उसके साथ तीन अन्य साथियों के साथ फांसी की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट के निर्देश पर मामले की सुनवाई दोबारा हुई, जिसमें अदालत ने उसे बरी कर दिया था। 

 उस घटना के बाद से ब्रह्मजीत अपनी मौत से दोबारा चर्चा में आ गया। गांव बुढ़ैना निवासी ब्रह्मजीत  का नाम आज भी गांव के लोग भूले नहीं हैं। 27 फरवरी 2018 को ब्रह्मजीत  सेक्टर-11 मिलन वाटिका के सामने से लापता हुआ था। वाटिका के पास लगे सीसीटीवी में वह लाल रंग की ब्रेजा कार में बैठकर जाता दिखा था। 

परिजनों के मुताबिक वह कार राजीव की थी। पुलिस की जांच के मुताबिक ब्रह्मजीत की हत्या के बाद आरोपियों ने शव को ठिकाने लगाने के बाद कार को जयपुर राजस्थान में ले जाकर जला दिया। जांच में दावा किया गया कि जिस पिस्तौल से उसे गोली मारी गई वह आगरा नहर में फेंक दी गई थी। शिकायत के बाद ब्रह्मजीत को ढूंढने के लिए मामले की जांच मिसिंग सेल को सौंपी गई। तत्कालीन मिसिंग सेल प्रभारी इंस्पेक्टर सतेंद्र रावल मामले की जांच में जुटे हुए थे।

37 गवाह और 64 तारीखों के बाद आया फैसला
बचाव पक्ष के अधिवक्ता प्रशांत यादव ने बताया कि इस केस में कुल 37 लोगों की गवाही कराई गई। जिसमें एफएसएल की रिपोर्ट और जांच टीम की कॉल डिटेल काफी अहम साबित हुए। उन्होंने बताया कि कुल 64 तारीखों में उन्होंने जो तथ्य पेश किए उनमें पुलिस की कॉल रिकॉर्ड के मुताबिक शव मिलने से पहले ही पुलिस घटना स्थल पर आ चुकी थी।
फॉरेंसिक रिपोर्ट व अन्य सबूतों पर भी पुलिस राजीव भाटी को आरोपी साबित नहीं कर पाई। स्वाति की कॉल डिटेल के मुताबिक भी वह घटना के दिन वारदात स्थल पर नहीं थी। करीब सवा तीन साल के बाद मंगलवार को न्यायाधीश नाजिर सिंह की अदालत ने दोनों को बरी कर दिया।

क्या कहते हैं अभियोजन पक्ष के लोग
अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता संजीव जैन और ब्रह्मजीत के भतीजे जसवीर भड़ाना ने बताया कि उन्होंने इस केस को किसी अन्य अदालत में ट्रांसफर करने की अपील हाई कोर्ट में लगा रखी है। इस पर हाईकोर्ट ने बहस के लिए 19 नवंबर की डेट भी दे रखी है।

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