टीईटी पेपर लीक मामला: जांच में बड़ा खुलासा, एक माह पहले ही लीक हो चुका था पेपर

यूपी में टीईटी पेपर लीक कांड की परतें धीरे-धीरे खुलती जा रही हैं. एसटीएफ ने इस मामले में परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव संजय उपाध्याय और पेपर छापने वाली कंपनी आरएसएम फिनसर्व के डायरेक्टर राय अनूप प्रताप को गिरफ्तार करके ये खुलासा किया है कि पेपर लीक कराने में दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका है. अब तक की जांच में यह भी साफ हो गया है कि टीईटी का पेपर ट्रेजरी से नहीं बल्कि प्रिंटिंग प्रेस से लीक हुआ था. यानि नकल माफिया के पास रविवार को होने वाली टीईटी परीक्षा का पेपर करीब 1 महीने पहले ही पहुंच चुका था. चूंकि, एसटीएफ के पास पेपर की कॉपी नहीं थी इसलिए कार्रवाई करने के बजाए नकल माफिया के हर कदम पर नजर रखी जा रही थी. एसटीएफ ने एहतियातन कुछ लोगों को पहले ही हिरासत में ले लिया था. परीक्षा शुरू होने के 15 घंटे पहले जब पेपर की कॉपी एसटीएफ के हाथ लगी तब पेपर की कॉपी शासन और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भेजी गई. उन्होंने परीक्षा शुरू होने के 3 घंटे पहले उसके असली होने की पुष्टि की तब पेपर निरस्त करने की घोषणा की गई.

सचिव और निजी कंपनी की मुलाकात नोएडा के एक होटल में हुई थी
परीक्षा नियामक प्राधिकारी संजय उपाध्याय पर ही परीक्षा के आयोजन की जिम्मेदारी थी और उन्होंने पेपर छापने का ठेका नई दिल्ली की कंपनी आरएसएम फिनसर्व को दिया था. संजय उपाध्याय ने 26 अक्टूबर को आरएसएम फिनसर्व कंपनी के डायरेक्टर राय अनूप प्रताप को पेपर छापने का वर्क आर्डर जारी किया. एसटीएफ की जांच में पता चला है कि संजय उपाध्याय और राय अनूप प्रताप की कई मुलाकातें हुई थीं और वर्क आर्डर मिलने से करीब 1 महीने पहले राय अनूप प्रताप ने संजय उपाध्याय को नोएडा के एक होटल में मिलने के लिए बुलाया था. जांच में यह भी खुलासा हुआ कि आरएसएम फिनसर्व कंपनी पेपर छापने के किसी भी मानक को पूरा नहीं कर रही थी, बावजूद इसके संजय उपाध्याय ने कंपनी को काम दे दिया.

पेपर लीक कांड में अब तक 33 लोग गिरफ्तार

आपको बता दें कि पेपर लीक कांड में अब तक 33 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं. इसमें प्रयागराज से सबसे ज्यादा 18 गिरफ्तारियां हुई हैं जबकि लखनऊ और शामली से 4-4, अयोध्या से 3, कौशांबी, बागपत और नोएडा से 1-1 आरोपी को पकड़ा गया है. पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ में 9 सॉल्वर के नाम भी सामने आए हैं जिनकी एसटीएफ तलाश कर रही है. आरोपियों से जुड़े अन्य लोग और सॉल्वर उपलब्ध कराने वाले भी एसटीएफ के राडार पर हैं.

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