हत्यारोपी डॉक्टर सुशील कुमार ने पत्नी चंद्रप्रभा के सिर पर हथौड़े से ताबड़तोड़ वार कर मौत के घाट उतारा था और बच्चों की हत्या गला दबाकर की थी। पुलिस को लगता है कि डॉक्टर अपनी पत्नी से बेइंतिहा नफरत करता था। ये नफरत क्यों थी…? इसका पता लगाने के लिए पुलिस ने रामा मेडिकल कॉलेज के उन डॉक्टरों से भी पूछताछ की है, जो सुशील का अन औपचारिक रूप से इलाज कर रहे थे।
डॉक्टरों के बयान के आधार पर पुलिस ने चौंकाने वाली कहानी का खुलासा किया है। पुलिस के अनुसार डॉक्टरों ने दबी जुबान में बताया है कि डॉक्टर साइकोसिस (मनोविक्षिप्त) बीमारी से ग्रसित था। इस बीमारी में व्यक्ति का वास्तविकता से संबंध टूट जाता है।
बीमारी से ग्रसित शख्स अपनी ही ख्याली दुनिया में जीने लगता है। वो एक बार मन में जो सोच लेता है, उसे नजरों के सामने हर वक्त वही सबकुछ नजर आने लगता है। ऐसे में संभव है कि डॉक्टर को यह लगने लगा था कि उसकी पत्नी चंद्रप्रभा का किसी से अवैध संबंध है।
इसी के चलते उसे चंद्रप्रभा का किसी से हंसकर बात करना या फोन पर ज्यादा देर तक बात करना पसंद नहीं था। इस बात को लेकर दंपती में अक्सर विवाद भी हो जाता था, जबकि इस बात का वास्तविकता से कोई ताल्लुक नहीं था।
चंद्रप्रभा सिर्फ अपने काम में व्यस्त रहती थीं, जिसकी पुष्टि पुलिस ने उनके मोबाइल को खंगाल कर की है। पुलिस के अनुसार डॉक्टर सुशील कुमार अपनी इसी सोच से परेशान था। कोई रास्ता न निकलते देख उसने चंद्रप्रभा को रास्ते से हटाने का फैसला लिया होगा।
पुलिस की थ्योरी के अनुसार घटना के दिन शुक्रवार को डॉक्टर ने सिर्फ बच्चों को ही नशीली चाय पिलाई होगी, ताकि वह चंद्रप्रभा की नृशंस हत्या का विरोध न कर सके। हथौड़े से चंद्रप्रभा की हत्या करने के दौरान बच्चों को होश आ गया होगा, जिससे घबरा कर उसने उनकी गला दबाकर हत्या कर दी।
किसी महिला से संबंधों की नहीं हुई पुष्टि
पुलिस को डॉक्टर के खुद के किसी महिला से अवैध संबंधों में पड़कर परिवार की हत्या करने की भी आशंका थी। इस पर पुलिस ने रामा मेडिकल से लेकर उसके जान पहचान के सभी संपर्कों को खंगाला, लेकिन किसी महिला से संबंधों की पुष्टि नहीं हो सकी। ऐसे में इस एंगल पर भी पुलिस ने अपनी जांच फिलहाल बंद कर दी है।
डॉक्टरों के बयान के आधार पर हत्यारोपी सुशील के साइकोसिस बीमारी से ग्रसित होने की आशंका है। पत्नी की हत्या के तरीके से पता चलता है कि वह उससे कितनी नफरत करने लगा था।- बृजेश श्रीवास्तव, एडीसीपी वेस्ट