आगामी गणतंत्र दिवस समारोह के लिए भारत सरकार मध्य एशियाई देशों के शीर्ष नेताओं को आमंत्रित करने की संभावनाएं तलाश रहा है। बीते कुछ समय से इस क्षेत्र के साथ अपने संबंधों को बढ़ा रही भारत सरकार इस कदम से इनके साथ संबंध और मजबूत करना चाहती है। माना जा रहा है कि यह कदम इन देशों में भारत की छवि और बेहतर बना सकता है।
इस घटनाक्रम के बारे में जानकारी रखने वाले लोगों ने रविवार को बताया कि मुख्य अतिथि के तौर पर उज्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिज गणराज्य और ताजिकिस्तान के नेताओं को बुलाने के विकल्प पर चर्चा हो रही है। हालांकि, उन्होंने कहा कि अतिथि पर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है और अन्य विकल्पों पर भी चर्चा की जा रही है।
2018 में आसियान देशों ने नेताओं को आमंत्रित किया था
इससे पहले 2018 के गणतंत्र दिवस समारोह में भारत ने आसियान (ASEAN या दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का संगठन) देशों के नेताओं को आमंत्रित किया था और सभी समारोह में शामिल हुए थे। बीते कुछ वर्षों से भारत ऊर्जा समृद्ध मध्य एशियाई देशों के साथ हर क्षेत्र में आपसी सहयोग को बढ़ाने पर ध्यान दे रहा है और संबंधों को मजबूत करने में जुटा हुआ है।
बढ़ा है मध्य एशियाई देशों का महत्व, समझ रही सरकार
इस क्षेत्र के साथ भारत की गतिविधियों में इजाफा जुलाई 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पांच देशों की यात्रा के बाद आया। इसके परिणामस्वरूप विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों का विस्तार भी हुआ था। इसके अलावा अफगानिस्तान में बने हालात ने भी इस युद्धग्रस्त देश से सीमा साझा करने वाले ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान का महत्व बढ़ाया है।
इस साल के गणतंत्र दिवस पर नहीं था कोई मुख्य अतिथि
इस साल गणतंत्र दिवस पर कोई मुख्य अतिथि नहीं था। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया गया था। उन्होंने निमंत्रण स्वीकार भी किया था लेकिन बाद में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में तेजी आने के बाद उन्होंने यह यात्रा कार्यक्रम रद्द कर दिया था। साल 2019 में ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो मुख्य अतिथि रहे थे।