कोरोना वायरस के नए और अधिक संक्रामक वैरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर बन रहीं चिंताओं के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र की क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने गुरुवार को कहा कि इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि ओमिक्रॉन कोरोना वायरस के पिछले किसी भी वैरिएंट के मुकाबले अधिक तेजी से फैल रहा है और किसी को भी इसे हल्का नहीं कहना चाहिए।
समाचार एजेंसी एएनआई को दिए एक साक्षात्कार में डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि ओमिक्रॉन से कुल मिलाकर जो खतरा सामने आ रहा है वह तीन सवालों पर निर्भर करता है। पहला, यह वैरिएंट कितना संक्रामक है। दूसरा, टीका और पूर्व में हुआ संक्रमण इससे बचाने में कितना सक्षम है और तीसरा सवाल यह है कि कोरोना वायरस के पूर्व में सामने आ चुके विभिन्न वैरिएंट के मुकाबले में यह कितना खतरनाक है।
पिछले वैरिएंट के मुकाबले तेजी से फैल रहा ओमिक्रॉन
डॉ. सिंह ने कहा कि वर्तमान में हमारे पास जो जानकारी और सबूत हैं उनके अनुसार ओमिक्रॉन पिछले वैरिएंट के मुकाबले में कहीं अधिक तेजी से फैल रहा है। दक्षिण अफ्रीका का शुरुआती डाटा बताता है कि ओमिक्रॉन से दोबारा संक्रमित होने का खतरा बढ़ा है, लेकिन किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए अभी हमें और जानकारियों की आवश्यकता है। ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर अभी भी हमारे पास बहुत सीमित डाटा है।
सही तस्वीर समझने के लिए और जानकारी की जरूरत
डब्ल्यूएचओ की क्षेत्रीय निदेशक ने कहा कि ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित होने वालें की चिकित्सकीय तस्वीर समझने के लिए अभी और जानकारियों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ सभी देशों को अपने कोविड-19 क्लिनिकल डाटा प्लेटफॉर्म के जरिए अपने यहां अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों के डाटा को साझा करने के लिए प्रोत्साहित करता है। इससे हमें ओमिक्रॉन को समझने में खासी मदद मिलेगी।
ओमिक्रॉन के खिलाफ टीकों का असर हो सकता है कम
इस सवाल पर कि क्या वर्तमान कोरोना वायरस रोधी टीके ओमिक्रॉन के खिलाफ असरदार हैं, डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि शुरुआती डाटा इस ओर संकेत करता है कि ओमिक्रॉन के खिलाफ टीकों के असर में कमी आ सकती है। हालांकि, इसे लेकर भी किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए उन्होंने अधिक जानकारी की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि आने वाले सप्ताहों में हमें इसे लेकर और जानकारी मिल सकती है।