चीन और पाकिस्तान से तनाव के बीच भारत लगातार अपनी सैन्य क्षमताओं में इजाफा कर रहा है. बुधवार को भारत ने सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल प्रलय का सफल परीक्षण किया है.
यह मिसाइल 150 किलोमीटर से 500 किलोमीटर के बीच निशाने को भेद सकती है. ओडिशा के तट पर स्थित डॉ एपीजे अब्दुल कलाम आईलैंड से इस मिसाइल को छोड़ा गया. इस मिसाइल को डिफेंस रिसर्च एंड डेवेलपमेंट ऑर्गनाइजेशन यानी डीआरडीओ ने डेवेलप किया है. यह मिसाइल एक टन तक वॉरहेड ले जा सकती है.
इससे पहले परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि प्राइम का भारत ने शनिवार को सफल परीक्षण किया था. दो हजार किलोमीटर तक की मार करने में सक्षम इस नेक्स्ट जेनरेशन मिसाइल का टेस्ट ओडिशा के बालासोर में किया गया. इस मिसाइल को भी डेवेलप डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने ही किया था.
डीआरडीओ ने अग्नि-प्राइम को अग्नि-1 और अग्नि-2 सीरिज की मिसाइल से ज्यादा उन्नत तैयार किया है. भले ही इसकी रेंज कम हो लेकिन इसमें तकनीक अग्नि-5 की इस्तेमाल की गई है. यही वजह है कि ये दुश्मन के मिसाइल डिफेंस सिस्टम को भी चकमा देने में कामयाब हो सकती है. इस मिसाइल को भारत ने पाकिस्तान की कम दूरी की परमाणु मिसाइलों के मुकाबले तैयार किया है.
इस महीने की शुरुआत में भारत ने दो मिसाइलें टेस्ट की थी. 8 दिसंबर को भारत ने सुखोई लड़ाकू विमान से सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के एयर वर्जन का सफल परीक्षण किया था. ओडिशा के चांदीपुर इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से इस मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया था. डिफेंस रिसर्च एंड डेवेलपमेंट ऑर्गनाइजेशन ने ब्रह्मोस डेवेलपमेंट में इसे बड़ी कामयाबी बताते हुए कहा कि इससे देश के भीतर ब्रह्मोस मिसाइलों एयर एडिशन के प्रोडक्शन सिस्टम का रास्ता साफ हो जाएगा.
इससे एक दिन पहले यानी 7 दिसंबर को भारत ने कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (VL-SRSAM) का सफल परीक्षण किया था. यह एयर डिफेंस सिस्टम 15 किलोमीटर की दूरी पर ही लक्ष्य को भेद सकता है.
इसे नेवी के युद्धपोतों के लिए डीआरडीओ द्वारा तैयार किया जा रहा है. नेवी के युद्धपोतों के लिए हवा से आने वाले खतरे को यह मिसाइल आसमान में ही ध्वस्त कर देगी. यह मिसाइल पुरानी बराक-1 सरफेस टू एयर मिसाइल की जगह लेगी और हवा से आने वाले खतरों से 360 डिग्री की सुरक्षा देगी.