कान्ह नदी में दूषित जल बहाने के मामले में कलेक्टर द्वारा गठित टीम की जांच में रोज कुछ न कुछ नया सामने आ रहा है। जांच दल ने जब एक उद्योग को देखा तो पाया कि दूषित जल नदी में बहाने के लिए भी चालाकी से काम किया गया। जमीन के अंदर करीब ढाई किमी की पाइपलाइन बिछा दी ताकि किसी की नजर न पड़े। इसी से दूषित जल नदी में बहाया जा रहा था। दो उद्योग सील किए और चार जगह उत्पादन बंद करवाया।
दरअसल कलेक्टर मनीष सिंह ने कान्ह नदी में इंडस्ट्रीयल वेस्ट छोड़ने वाले उद्योगों की जांच के लिए दल बनाया है। इस जांच दल में प्रशासनिक अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी तथा नगर निगम के अधिकारी शामिल हैं। इस दल ने मांगलिया स्थित रुचि सोया इंडस्ट्रीज का निरीक्षण किया। यहां दूषित जल नदी में बहाया जा रहा था। इंडस्ट्री ने चोरी-छिपे जमीन के अंदर लगभग ढाई किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछा रखी थी, जिससे उद्योग का दूषित जल फेंका जा रहा था। यह सीधे नाले में जाता था।
नोटिस थमाया, दूषित जल का सैंपल लिया
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने इस दूषित जल का वैधानिक नमूना जल प्रदूषण (निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1974 की धारा 21 के तहत नोटिस देकर लिया। अधिकारियों ने उद्योग का प्रशासनिक भवन सील कर 24 घंटे में पाइप लाइन हटाने के निर्देश दिए। इसी तरह मेसर्स सतगुरु इंजीनियरिंग इंदौर, जो कि छोटी ग्लास बॉटल वॉशिंग करता है, द्वारा बिना उपचार के जल बहाया जा रहा था। मेसर्स ललित नमकीन, मेसर्स सोनू वेफर्स, मेसर्स तिरुपति फार्मा का भी उत्पादन बंद करवाया। इन जगहों पर भी दूषित जल का विधिवत उपचार नहीं किया जा रहा था। मेसर्स श्री गणेश स्टिच वायर कंपनी में भी बिना उपचार के ही उद्योग परिसर के बाहर जल बहाया जा रहा था। यह नरवर नाले में जा रहा था। नाले के पानी को हानिकारक केमिकल से प्रदूषित करने पर उद्योग को सील किया।