कश्मीर घाटी की फिजाओं में अब बदलाव देखने को मिल रहा है। वो कश्मीर जहां हर आतंकी के जनाजे में हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ती थी, राष्ट्र विरोधी नारेबाजी हुआ करती थी। आज उसी कश्मीर में शहीद जवानों के जनाजों में सैकड़ों लोग शामिल होते दिखाई पड़ते हैं।
हालांकि, कश्मीर में कोरोना महामारी के चलते लोगों को एक जगह जमा होने पर पाबंदियां लगाई गई हैं, लेकिन इसके बावजूद लोग अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाते। ऐसी ही एक मिसाल जम्मू-कश्मीर पुलिस के शहीद कांस्टेबल अल्ताफ हुसैन के श्रीनगर के ईदगाह स्थित घर पर देखने को मिली, जब उनके जनाजे में शामिल होने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचे।
कांस्टेबल अल्ताफ हुसैन मंगलवार शाम गांदरबल जिले के नुनर इलाके में भाजपा नेता को बचाने में आतंकियों की गोली का शिकार हो गए। जनाजे में शामिल एक व्यक्ति ने कहा कि अल्ताफ मेरा भाई था जिसने अपनी जान अपने फर्ज के लिए न्योछावर कर दी है। हमें उसकी शहादत पर गर्व है। उसने कहा कि अल्ताफ एक जिंदा दिल इंसान था और हमेशा से ही उसे पुलिस में जाने का शौक था।
पिछले कुछ समय से भाजपा नेताओं को आतंकियों द्वारा निशाना बनाए जाने के बाद परिवार वालों ने कई बार उसे भाजपा नेताओं के साथ न रहने की सलाह दी थी, लेकिन वह हमेशा कहता था मैं ठीक हूं और अपनी ड्यूटी सही से अंजाम दे रहा हूं, इसमें डरने वाली कोई बात नहीं।