राज्य पुलिस ने सोमवार को दावा किया कि राजस्थान में दुष्कर्म के मामलों की जांच का औसत समय 2021 में घटकर 86 दिन रह गया है जो 2018 में 241 दिन था। राजस्थान में अपराध की स्थिति का विवरण देते हुए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) एमएल लाठेर ने कहा कि 2020 की तुलना में आईपीसी के तहत दर्ज मामलों की संख्या में पिछले वर्ष में 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
उन्होंने यहां पुलिस मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा कि हालांकि 2019 की तुलना में पिछले वर्ष आईपीसी के मामलों में 4.77 प्रतिशत की गिरावट आई थी। लाठेर ने कहा कि दुष्कर्म के मामलों में पुलिस जांच का औसत समय जो 2018 में 241 दिन था, अब राज्य पुलिस की मुस्तैदी के कारण 2021 में 86 दिन हो गया है। यह एक बड़ी उपलब्धि है। औसत जांच समय 126 दिन था।
उन्होंने कहा कि राज्य पुलिस की प्रतिबद्धता और समर्पण के कारण 2019 में राजस्थान महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित मामलों के त्वरित निपटान में देश में पहले स्थान पर रहा। डीजीपी ने कहा कि 2020 में राजस्थान पुलिसिंग के इस क्षेत्र में बड़े राज्यों में दूसरे स्थान पर था। उन्होंने कहा कि यह महिला सुरक्षा के प्रति राजस्थान पुलिस की संवेदनशीलता और प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
जांच लंबित रहने की दर पर डीजीपी ने कहा कि 2020 में यह 12 प्रतिशत थी, जबकि पिछले साल यह घटकर नौ प्रतिशत रह गई। पिछले साल झूठे मामलों का अनुपात 2020 में 27.71 प्रतिशत की तुलना में 30.44 प्रतिशत था। पुलिस व्यवस्था में सुधार पर लाठेर ने कहा कि पिछले साल शिकायतकर्ताओं की आसानी के लिए समस्या मुक्त और निर्बाध मामलों के पंजीकरण को महत्व दिया गया था। उन्होंने कहा कि इस पहल को न केवल समर्थन दिया गया बल्कि राज्य सरकार ने इसे काफी प्रोत्साहन भी दिया, जिसके बिना इसे लागू करना असंभव होता।