हाथरस मामले के बाद गृह मंत्रालय ने महिला सुरक्षा पर राज्यों को नया परामर्श जारी किया है. गृह मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि महिला के खिलाफ अपराध यदि थाने के अधिकार क्षेत्र के बाहर भी हुआ है तो उस स्थिति में शून्य प्राथमिकी’ दर्ज की जानी चाहिए.
बता दें कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोकने में सरकारों की अक्षमता से काफी विवाद बढ़ा और यूपी सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. इस मामले में सरकार के साथ ही पुलिस की लापरवाही भी सामने आई है. बता दें कि पिछले महीने उत्तर प्रदेश के हाथरस में 20 साल की दलित महिला के साथ कथित सामूहिक बलात्कार और अत्याचार के बाद विवाद छिड़ा है. इस घटना के बाद महिलाओं की सुरक्षा को लेकर प्रशनचिह्न लगा है.
इसे देखते हुए गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों को याद दिलाया है “महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों में पुलिस द्वारा अनिवार्य कार्रवाई” के लिए मौजूदा कानूनों की वो नई व्यवस्था जारी करें. शनिवार को जारी दो पन्नों की एक सलाह में गृह मंत्रालय की महिला सुरक्षा प्रभाग ने दंड प्रक्रिया संहिता के तीन प्रमुख खंडों पर प्रकाश डाला, जो “एफआईआर के अनिवार्य पंजीकरण”, 60 दिनों के भीतर जांच (बलात्कार के संबंध में) और एक अनिवार्य चिकित्सा से संबंधित हैं.