मुजफ्फरनगर जिले के सबसे बड़े धर्म क्षेत्र शुकतीर्थ और संभलहेड़ा सिद्ध पीठ वाली सीट मीरापुर के समीकरण दिलचस्प हो गए हैं। जानसठ सुरक्षित सीट का हिस्सा मीरापुर में मिलाए जाने के बाद यहां गुर्जर, अनुसूचित जाति और मुस्लिम समीकरण प्रभावी है। एक तरफ उत्तराखंड और दूसरी तरफ बिजनौर से यह सीट लगी हुई है।
यही वजह है कि राजनीतिक दल इस सीट से गुर्जर या मुस्लिम प्रत्याशी को तवज्जो देते रहे हैं। 2012 में बसपा के टिकट से मौलाना जमील विधायक बने थे। 2017 में भाजपा की लहर चली, लेकिन कांग्रेस-सपा के गठबंधन के प्रत्याशी लियाकत अली ने दमदार मुकाबला किया था, लेकिन 194 वोटों से भाजपा के अवतार भड़ाना जीतकर विधायक बन गए थे। इस बार भी इस सीट पर कांटे का मुकाबला होने के आसार बन गए हैं।
मोरना सीट, जिस पर यह बने विधायक
साल विधायक पार्टी
1967 राजेंद्र दत्त कांग्रेस
1969 धर्मवीर सिंह बीकेडी
1974 नारायण सिंह कांग्रेस
1977 नारायण सिंह जनता पार्टी
1980 मेहंदी असगर जनता दल सेक्यूलर
1985 सईदुज्जमां कांग्रेस
1989 अमीर आलम जनता दल
1991 रामपाल सिंह भाजपा
1993 रामपाल सिंह भाजपा
1996 संजय चौहान सपा
2002 राजपाल सैनी बसपा
2007 कादिर राना रालोद
मोरना से बनी मीरापुर, बना नया समीकरण
साल विधायक पार्टी
2012 मौलाना जमील बसपा
2017 अवतार भड़ाना भाजपा
भोकरहेड़ी के नाम से भी हुआ था चुनाव
मीरापुर क्षेत्र के भोकरहेड़ी सीट से भी एक चुनाव हुआ था। 1962 में सुरक्षित सीट भोकरहेड़ी से शुगनचंद मजदूर विधायक बने थे। बाद में परिसीमन में यह सीट खत्म हो गई थी।
तीसरी पीढ़ी के चंदन चौहान लड़ें चुनाव
मोरना से लगातार दो बार जीत हासिल करने वाले सूबे के डिप्टी सीएम रहे नारायण सिंह के बेटे स्वर्गीय संजय चौहान भी यहीं से 1996 में सपा से विधायक रहे थे। इस बार तीसरी पीढ़ी के चंदन चौहान मीरापुर सीट से चुनाव लड़ने जा रहे हैं।
मोरना-मीरापुर में मुस्लिम जमाते रहे अखाड़ा
पहले मोरना और फिर मीरापुर विधानसभा में मुस्लिम जीतते रहे हैं। 1980 में मेहंदी असगर उर्फ मटरू मियां जनता दल सेक्यूलर से जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। 1985 में कांग्रेस से सईदुज्जमां, 1989 में जनता दल से अमीर आलम, 2007 में रालोद से कादिर राना और 2012 में बसपा से मौलाना जमील जीते हैं।
जब-जब चली लहर तो जीत गई भाजपा
मोरना और मीरापुर में जब-जब लहर चली, तब-तब भाजपा जीत गई। 1991 और 1993 में रामपाल सिंह भाजपा लहर में जीते। 2017 में फिर लहर चली तो अवतार भड़ाना जीत गए।