उत्तराखंड: कोंग्रेसी प्रत्याशियों की सूची जारी होते ही कांग्रेस में बगावत

विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की पहली सूची जारी होते ही देहरादून जिले में भी विभिन्न सीटों पर पिछले पांच साल से तैयारी कर रहे नेताओं में असंतोष व्याप्त है। इसे लेकर कुछ नेताओं ने तो खुलकर शीर्ष नेतृत्व की मुखालफत शुरू कर दी है। जबकि कई दावेदारों और उनके समर्थकों में अंदरखाने असंतोष पनप रहा है। ऐसे में दावेदारी की दौड़ में जीत हासिल करने वाले कांग्रेस प्रत्याशियों को चुनाव में विजय पाने के लिए रूठों को मनाने का भी दारोमदार आ गया है। 

शनिवार देर रात जारी हुई सूची में प्रदेश की 70 में से जिन 53 सीटों पर कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी घोषित किए हैं, उनमें देहरादून जिले के भी सात प्रत्याशी शामिल हैं। कांग्रेस ने जिले की डोईवाला, कैंट और ऋषिकेश विधानसभा सीट को छोड़कर बाकी सात सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। सूची जारी होने के बाद पिछले पांच साल से विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहे दूसरे कई दावेदारों में असंतोष पनप रहा है। जिन दावेदारों के टिकट फाइनल हुए हैं उन पर अब रूठों की मान-मनौव्वल करने का भी जिम्मा आ गया है।

नाराज नेताओं को मनाने के लिए जहां कुछ दावेदार पार्टी की जीत में ही सभी की जीत की दुहाई दे रहे हैं तो कुछ अपने पुराने संबंधों का भावनात्मक कार्ड खेलने से भी नहीं चूक रहे हैं। वहीं, विभिन्न प्रत्याशी ऐसे नेताओं को हाथ का साथ दिलवाने के लिए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में बैठे अपने आकाओं का भी सहारा ले रहे हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि रूठों को मनाकर अपने साथ करने में ये प्रत्याशी कितना सफल हो पाते हैं।

धर्मपुर से टिकट न मिलने पर दी खुली चुनौती
जिले की हॉट सीटों में शामिल धर्मपुर विधानसभा की बात करें तो यहां पर पूर्व कैबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल पर पार्टी ने फिर से भरोसा जताया है। दिनेश अग्रवाल 2017 के विधानसभा चुनाव में निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के विनोद चमोली से हार गए थे। उसके बाद देहरादून नगर निगम के मेयर के चुनाव में भी उन्हें भाजपा के सुनील उनियाल गामा से हार का मुंह देखना पड़ा था। इस सीट पर राज्य आंदोलनकारी पूरण सिंह रावत और सुरेंद्र सिंह रांगड़ आदि नेता पिछले पांच साल से टिकट मिलने की हसरत में विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिए जोर-शोर से जुटे हुए थे। राज्य आंदोलनकारी पूरन सिंह रावत ने तो पार्टी नेतृत्व के इस फैसले को सीधे-सीधे चुनौती देते हुए कहा कि उनके साथ धोखा हुआ है। पूरन सिंह रावत ने अब जनता के बीच जाकर न्याय की गुहार लगाने की बात कही है। 

पार्टी हाईकमान के फैसले से हैरान दावेदार
रायपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने एक और पूर्व कैबिनेट मंत्री हीरा सिंह बिष्ट पर दांव खेला है। हीरा सिंह वरिष्ठ कांग्रेस नेता हैं और एक बार अविभाजित उतर प्रदेश में व दो बार उतराखंड में विधायक का चुनाव जीत चुके हैं। वर्ष 2017 के चुनाव में डोईवाला सीट से चुनाव लड़े थे और भाजपा के निकटतम प्रतिद्वंद्वी त्रिवेंद्र सिंह रावत से चुनाव हार गए थे। इस बार कांग्रेस ने एक खास रणनीति के तहत उन्हें डोईवाला से रायपुर शिफ्ट किया है। ऐन चुनाव से पहले हीरा सिंह बिष्ट के रायपुर सीट पर प्रत्याशी घोषित किए जाने से वहां पहले से तैयारी में जुटे वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रभुलाल बहुगुणा, चार महीने पूर्व कांग्रेस में शामिल हुए आरएसएस मूल के महेंद्र सिंह नेगी के अलावा सूरत सिंह नेगी, प्रवीण त्यागी व भूपेंद्र सिंह नेगी आदि भी मायूस नजर आ रहे हैं। हालांकि विरोध में कोई खुलकर ज्यादा नहीं बोल रहे हैं, लेकिन प्रभुलाल बहुगुणा और महेंद्र सिंह नेगी जरूर पार्टी नेतृत्व के इस निर्णय पर हैरानी जता रहे हैं। 

राजपुर रोड सीट पर नए को मौका न देने पर नाराजगी
राजपुर रोड आरक्षित विधानसभा सीट से कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनाव के उपविजेता पूर्व विधायक राजकुमार को एक और मौका दिया है। राजकुमार इस सीट पर 2012 में विधायक का चुनाव जीत भी चुके हैं। इससे पूर्व कई दफा नगर निगम में पार्षद भी रहे। मलिन बस्तियों के मुद्दों को लेकर सक्रियता उनकी इस सीट पर राजनीतिक ताकत को बढ़ाती है। इस सीट पर भी कांग्रेस के दूसरे दावेदार नए नेताओं को मौका न दिए जाने से नाराज हैं। कांग्रेस की महानगर महिला अध्यक्ष कमलेश रमन ने तो सीधे तौर पर पार्टी निर्णय के खिलाफ बगावती तेवर अपना लिए हैं। कमलेश रमन ने इस सीट पर महिला प्रत्याशी को टिकट दिए जाने की जोर-शोर से वकालत की थी। इसी तरह देवेंद्र सिंह, मदनलाल, आशा टम्टा और संजय कनौजिया भी इस सीट से दावेदारी का ताल ठोक रहे थे।

गोदावरी थापली ने लिया जोत सिंह गुनसोला का आशीर्वाद

मसूरी विधानसभा सीट पर वर्ष 2012 में निर्दलीय और 2017 में कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव लड़ने वाली गोदावरी थापली को इस बार भी हाथ का साथ मिला है। गोदावरी थापली 2012 में तीसरे और 2017 में दूसरे नंबर पर रही थीं। मसूरी में वरिष्ठ कांग्रेस नेता जोत सिंह गुनसोला, राजकुमार जायसवाल, सुमेंदर बोरा, लक्ष्मण सिंह नेगी और सुनीत राठौड़ आदि भी दावेदारी पेश कर रहे थे। कांग्रेस के कद्दावर नेता जोत सिंह गुनसोला की दावेदारी भी मजबूत मानी जा रही थी।

यही कारण है कि टिकट फाइनल होते ही गोदावरी थापली ने मसूरी कांग्रेस भवन में जोत सिंह गुनसोला का आशीर्वाद लेकर यह सार्वजनिक करने की कोशिश भी की कि मसूरी सीट पर उनके चुनाव लड़ने पर कांग्रेस में किसी तरह की कोई नाराजगी नहीं है। बकौल गोदावरी थापली मसूरी में इस बार कांग्रेस बहुत मजबूत स्थिति में है और पार्टी के सभी नेता व कार्यकर्ता अब कांग्रेस को जिताने के लिए जुट गए हैं।

इन सीटों पर यह है स्थिति 
सहसपुर में कांग्रेस ने पिछली बार बगावत कर पार्टी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले आर्येद्र शर्मा को टिकट दिया है। आर्येंद्र शर्मा पिछली बार किशोर उपाध्याय के बाद तीसरे नंबर पर रहे थे। इस सीट से कांग्रेस में राकेश नेगी, लक्ष्मी अग्रवाल, गुलजार, विनोद चौहान, अकील अहमद आदि भी दावेदारी जता रहे थे। पार्टी हाईकमान के फैसले के बाद बाकी दावेदार खासे मायूस बताए जा रहे हैं।

चकराता सीट से नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह के राजनीतिक कद को देखते हुए उनके नाम पर मुहर लगना  लगभग तय था। उनके परिवार की कांग्रेसी पृष्ठभूमि, कई बार के विधायक, प्रदेश अध्यक्ष रहने और फिर नेता प्रतिपक्ष का ओहदा, क्षेत्र के लोगों में अच्छी पकड़ होने के चलते उनकी टक्कर का पार्टी में हाईकमान को दूसरा कोई चेहरा नजर नहीं आया। उनके ऊंचे सियासी कद का ही नतीजा है कि चकराता सीट पर पार्टी में उनकी मुखालफत करने वाला कोई भी सामने नजर नहीं आता है।

विकासनगर सीट पर पूर्व कैबिनेट मंत्री नवप्रभात को फिर मौका मिला है। पिछली बार वह भाजपा के मुन्ना सिंह चौहान से हार गए थे। विकासनगर से जिला अध्यक्ष संजय किशोर ने भी दावेदारी की थी, लेकिन नवप्रभात ने बाजी मार ली। इसी तरह कैंट विधानसभा से भले अभी प्रत्याशी घोषित न हुआ हो, लेकिन सूत्रों से जो संकेत मिल रहे हैं उनमें कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना, महानगर अध्यक्ष लालचंद शर्मा, युवा नेता वैभव वालिया और राज्य आंदोलनकारी बीरेंद्र पोखरियाल में टिकट के लिए कड़ी टक्कर बताई जा रही है। इसी तरह, ऋषिकेश और डोईवाला सीट पर भी प्रत्याशी घोषित करने को लेकर पार्टी खास रणनीति के तहत और फूंक-फूंककर कदम आगे बढ़ा रही है।

रानीपुर में टिकट वितरण के बाद कांग्रेसियों में रार

कांग्रेस की ओर से जारी किए टिकटों से हरिद्वार की सीट पर तो कोई नाराजगी के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। दबी जुबान से टिकट के सभी दावेदार अब पार्टी प्रत्याशी के लिए काम करने का दावा कर रहे हैं, लेकिन भेल रानीपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस में रार शुरू हो गई है। दावेदारों ने घोषित किए गए प्रत्याशी को पार्टी के बाहर का बताया है। वहीं, आजकल में कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करने की बात उनकी ओर से कही जा रही है। इससे साफ दिख रहा है कि कुछ दावेदार पार्टी हाईकमान के फैसले से असंतुष्ट नजर हैं। जो अब निर्दलीय भी मैदान में ताल ठो सकते हैं। 

कांग्रेस पार्टी में पूरी आस्था आज भी है। लेकिन जिन लोगों ने मुझे नेता बनाया है। वही बैठक में तय करेंगे कि मुझे क्या करना है। जिसका आजकल में पता चल जाएगा। 
– महेश प्रताप राणा, प्रदेश सचिव, कांग्रेस 

पार्टी ने  कार्यकर्ता को ही टिकट नहीं दिया है। एक ऐसे व्यक्ति को टिकट दे दिया है, जिसने अभी तक के चुनाव में केवल पार्टी प्रत्याशियों के खिलाफ काम किया है। अपने लोगों के साथ सोमवार को बैठक करूंगा। इसके बाद संगठन के दायरे में रहकर निर्णय लिया जाएगा। 
– वरुण बालियान, यूथ कांग्रेस नेता

सीट पर टिकट वितरण को लेेकर मैं संतुष्ट नहीं हूं। पार्टी हाईकमान को टिकट वितरण को लेकर पुनर्विचार करना चाहिए। समर्थकों के साथ में आजकल में बैठक करूंगा। इसके बाद जो भी समर्थक कहेंगे। उस अनुसार निर्णय लिया जाएगा। 
– संजीव चौधरी, सदस्य, आउटरीच कांग्रेस कमेटी 

जो भी पार्टी ने फैसला लिया है, मैं क्या पार्टी के सभी कार्यकर्ता उससे पूरी तरह से संतुष्ट हैं। अब वह पार्टी प्रत्याशी के लिए कार्य करेंगे। जिससे पार्टी प्रत्याशी जीतने से कांग्रेस की सरकार बने सके। 
– आलोक शर्मा, राष्ट्रीय प्रवक्ता 

पार्टी ने प्रत्याशी को चयन लेकर जो किया है। वह सही है। इसलिए वह अब पार्टी प्रत्याशी के साथ हैं। उन्हें जीताने के लिए काम किया जाएगा।

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