प्रधानमंत्री की सुरक्षा से संबंधित एक जनहित याचिका को दिल्ली उच्च न्यायालय ने 30 अप्रैल के लिए सूचीबद्ध किया है। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली पीठ ने शुरू में कहा था कि वह केंद्र से उस जनहित याचिका पर विचार करने के लिए कहेगी, जिसमें घोषणा की मांग की गई है कि सभी प्राधिकरण (नागरिक या सैन्य) प्रधानमंत्री और उनके परिवार के सदस्यों की सुरक्षा के मामलों में विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) की देखरेख में कार्य करेंगे।
याचिकाकर्ता आशीष कुमार के वकील वी. गोविंदा रामनन ने कहा कि याचिका कानून के एक सीमित बिंदु पर थी कि एसपीजी के पास पीएम की सुरक्षा के संबंध में देख-रेख की शक्ति होनी चाहिए। याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल की पंजाब यात्रा के दौरान सुरक्षा उल्लंघन पर मीडिया में आई खबरों के मद्देनजर जनहित याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी। कहा कि शीर्ष अदालत ने निर्देश पारित कर दिया है। पहले से नियुक्त समिति की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है।
12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गहन जांच की मांग वाली एक याचिका पर सुरक्षा उल्लंघन की जांच के लिए शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति नियुक्त की थी। उच्च न्यायालय के समक्ष जनहित याचिका में याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा को राज्यों के विवेक पर नहीं छोड़ा जा सकता है। उनकी सुरक्षा के मामलों में पूर्ण अधीक्षण का प्रयोग एसपीजी द्वारा किया जाना चाहिए।